कविता “देश की पुकार” JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 4 हिंदी का पांचवां पाठ है। यह कविता गीतकार प्रसून जोशी द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Desh Ki Pukar Class 4 Hindi Poem Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप कविता ” देश की पुकार” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर (Desh Ki Pukar Class 4 Hindi JKBOSE Question Answers) पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Seekho Class 4 Hindi JKBOSE Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Desh Ki Pukar Class 4 Hindi Poem Question Answers
Desh Ki Pukar Class 4 Hindi Poem Text (देश की पुकार कविता)
होनहार देश के, कर्णधार देश के।
देश की पुकार पर, आज तुम बढ़े चलो।
मातृभूमि के लिए प्राण के जला दिए।
तुम नई बहार को ख़ून का श्रृंगार दो।
जोश यह घटे नहीं, पाँव अब हटें नहीं।
पाठ स्वाभिमान का आज तुम पढ़े चलो।
होनहार देश के कर्णधार देश के
देश की पुकार पर आज तुम बढ़े चलो।
मेदिनी दहल उठे, सिंधु भी मचल उठे,
तुम जिधर चरण धरो, जीत का वरण करो ।
तुम कहीं रुको नहीं, तुम कहीं झुको नहीं।
आज आसमान पर शान से बढ़े चलो
होनहार देश के कर्णधार देश के
देश की पुकार पर आज तुम बढ़े चलो
देश के गुमान तुम, सूरमा महान तुम ।
तुम अमर सपूत हो, तुम क्रांति दूत हो ।
कल से कराल बन, और बेमिसाल बन ।
त्याग की कहानियाँ, आज तुम गढ़े चलो।
होनहार देश के कर्णधार देश के
देश की पुकार पर आज तुम बढ़े चलो।
Desh Ki Pukar Class 4 Hindi Poem Word Meaning (दयानतदारी कविता शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
कर्णधार | (कर्ण-नौका का अगला हिस्सा) नौका नाव चलाने वाला। |
मेदिनी | धरती। |
कराल | भयंकर। |
बेमिसाल | जिसकी तुलना न हो। |
Desh Ki Pukar Poem Explanation (दयानतदारी कविता सरलार्थ)
पद्यांशों का सरलार्थ
- होनहार देश के, कर्णधार देश के।
देश की पुकार पर, आज तुम बढ़े चलो।
मातृभूमि के लिए प्राण के जला दिए।
तुम नई बहार को ख़ून का श्रृंगार दो।
जोश यह घटे नहीं, पाँव अब हटें नहीं।
पाठ स्वाभिमान का आज तुम पढ़े चलो।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां ‘देश की पुकार’ नामक कविता से ली गई हैं। यह कविता गीतकार प्रसून जोशी द्वारा लिखी गई है। यह पंक्तियाँ भारत के युवाओं को संबोधित करते हुए लिखी गई हैं, जो देश के भविष्य और उसकी धरोहर के संरक्षक हैं। कवि उन्हें देश की पुकार सुनने और मातृभूमि के लिए समर्पण भाव से आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।
सरलार्थ – कवि युवाओं को “होनहार देश के कर्णधार” कहकर संबोधित करते हैं, जो इस बात को दर्शाता है कि देश का भविष्य इन्हीं युवाओं के हाथों में है। वे आग्रह करते हैं कि मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए युवाओं को प्राणों का बलिदान करने में भी पीछे नहीं हटना चाहिए। युवाओं को अपने ख़ून से नई बहार लाने और मातृभूमि को सुंदर बनाने का संदेश दिया गया है। कवि ने आत्मसम्मान और जोश को बनाए रखने पर ज़ोर दिया है, ताकि वे अपने कर्तव्यों से विचलित न हों।
- मेदिनी दहल उठे, सिंधु भी मचल उठे,
तुम जिधर चरण धरो, जीत का वरण करो।
तुम कहीं रुको नहीं, तुम कहीं झुको नहीं।
आज आसमान पर शान से बढ़े चलो।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां ‘देश की पुकार’ नामक कविता से ली गई हैं। यह कविता गीतकार प्रसून जोशी द्वारा लिखी गई है। यह पंक्तियाँ उस ऊर्जा और साहस को दर्शाती हैं जो युवाओं के कदमों में बसी है। कवि यह कहते हैं कि उनका हर कदम विजय और क्रांति का प्रतीक बनना चाहिए।
सरलार्थ – कवि युवाओं की शक्ति को धरती और समुद्र की ऊर्जा से तुलना करते हुए कहते हैं कि उनके साहस से पूरा वातावरण प्रभावित होना चाहिए। जहाँ भी वे कदम रखें, वहाँ विजय सुनिश्चित होनी चाहिए। कवि ने युवाओं को रुकने और झुकने से मना किया है, जो इस बात पर बल देता है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा दृढ़ता और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। अंत में, कवि उन्हें आसमान की ऊँचाईयों तक पहुँचने और अपने शौर्य को साबित करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- देश के गुमान तुम, सूरमा महान तुम।
तुम अमर सपूत हो, तुम क्रांति दूत हो।
कल से कराल बन, और बेमिसाल बन।
त्याग की कहानियाँ, आज तुम गढ़े चलो।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां ‘देश की पुकार’ नामक कविता से ली गई हैं। यह कविता गीतकार प्रसून जोशी द्वारा लिखी गई है। इस भाग में कवि ने युवाओं को देश का गौरव और महान योद्धा बताया है। यह पंक्तियाँ युवाओं को उनके कर्तव्यों की याद दिलाने और इतिहास में अपने त्याग और साहस के उदाहरण स्थापित करने के लिए प्रेरित करती हैं।
सरलार्थ – कवि युवाओं को देश का गर्व और “अमर सपूत” कहकर संबोधित करते हैं, जो यह दिखाता है कि वे देश की सेवा के लिए जन्मे हैं। उन्हें “क्रांति दूत” कहकर, कवि उनसे यह अपेक्षा करते हैं कि वे समाज में बदलाव और नवनिर्माण की मिसाल बनें। कवि ने “कराल बन” और “बेमिसाल बन” जैसे शब्दों का उपयोग करते हुए उन्हें साहसिक और अद्वितीय बनने के लिए प्रेरित किया है। अंत में, त्याग की कहानियाँ गढ़ने का आह्वान इस बात पर बल देता है कि युवा अपने कार्यों और बलिदानों से अमर बन सकते हैं।
Desh Ki Pukar Poem Summary (कविता का सार)
कवि इस कविता में बच्चों को देश का भविष्य और उसकी नाव का खेवनहार मानते हैं। वह उन्हें प्रेरित करते हैं कि वे मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने से भी पीछे न हटें। कवि कहते हैं कि नई बहार को अपने खून से श्रृंगार दो और स्वाभिमान का पाठ पढ़कर आगे बढ़ो। तुम्हारे कदम जहाँ भी पड़ें, वहाँ जीत तुम्हारा इंतजार करे। कवि बच्चों से आग्रह करते हैं कि वे कभी झुकें नहीं, कभी रुकें नहीं, और अपनी शान को आसमान तक ले जाएँ।
कवि बच्चों को देश का गर्व और वीर योद्धा बताते हैं। वे उन्हें क्रांति के दूत और अमर सपूत के रूप में देखते हैं। कवि प्रेरणा देते हैं कि बच्चे ऐसी मिसाल कायम करें, जिसकी तुलना कोई न कर सके। त्याग और बलिदान की कहानियों को गहराई से रचते हुए वे देश की पुकार का उत्तर दें। बच्चों को बस बिना थके और बिना रुके आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि वही देश के स्वाभिमान और उज्ज्वल भविष्य का आधार हैं।
Desh Ki Pukar Poem JKBOSE Question Answers
अभ्यास
(1) शब्दार्थः-
उत्तर- इसका का उत्तर ऊपर टेबल में देखें।
(2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-
(क) कविता में ‘होनहार देश के एक संबोधन है, दूसरा संबोधन लिख दीजिए।
उत्तर- देश के गुमान तुम।
(ख) कवि प्राण के दीए किसके लिए जलाने को कहता है?
उत्तर- कवि प्राण के दीए मातृभूमि के लिए जलाने को कहता है।
(ग) कवि नई बहार के लिए क्या करने के लिए कह रहा है?
उत्तर- कवि नई बहार के लिए खून का शृंगार करने को कह रहा है।
(घ) कविता में कवि ने किसे पाठ पढ़ाया है?
उत्तर- कविता में कवि ने बच्चों को पाठ पढ़ाया है।
(ङ) तुम्हारे कदम बढ़ाने से धरती और समुद्र का क्या हो जाएगा?
उत्तर- धरती दहल जाएगी और समुद्र मचल जाएगा।
(3) नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में उचित शब्दों को भरिए:-
तुम जिधर ……… धरो ……… का ……… करो।
……… कहीं ……… नहीं, तुम ……… झुको ……… ।
आज ……… पर, ……… से ……… चलो।
तुम ……… सपूत ……… क्रांति ……… हो ।
उत्तर-
तुम जिधर चरण धरो जीत का वरण करो।
तुम कहीं रूको नहीं, तुम कहीं झुको नहीं।
आज आसमान पर, शान से बढ़े चलो।
तुम अमर सपूत हो तुम क्रांति दूत हो ।
प्रश्न 4. उचित शब्दों के साथ मिलान कीजिए:-
- प्राण के 1. स्वाभिमान का
- ख़ून का 2. वरण करो
- पाठ 3. कराल बन
- आज आसमान पर 4 घटे नहीं
- सूरमा 5. जला दीए
- काल से 6. श्रृंगार दो
- जीत से 7. शान से बढ़े चलो
- जोश यह 8. महान तुम
उत्तर-
- प्राण के 1. जला दीए
- ख़ून का 2. श्रृंगार दो
- पाठ 3. स्वाभिमान का
- आज आसमान पर 4. शान से बढ़े चलो
- सूरमा 5. महान तुम
- काल से 6. कराल बन
- जीत से 7. वरण करो
- जोश यह 8. घटे नहीं
प्रश्न 5. सही पर (✓) तथा गलत पर (x) चिह्न लगाएँ:-
(क) होनहार विदेश के कर्णधार देश के
(ख) देश की पुकार पर आज तुम बढ़े चलो
(ग) मातृभूमि के लिए प्राण के जला दीए
(घ) तुम नई बहार को ख़ून का श्रृंगार दो
(ङ) गाँठ स्वाभिमान का आज तुम बढ़े चलो
उत्तर-
(क) होनहार विदेश के कर्णधार देश के (×)
(ख) देश की पुकार पर आज तुम बढ़े चलो (✓)
(ग) मातृभूमि के लिए प्राण के जला दीए (✓)
(घ) तुम नई बहार को ख़ून का श्रृंगार दो (✓)
(ङ) गाँठ स्वाभिमान का आज तुम बढ़े चलो (×)
प्रश्न 5. कविता के आधार पर लयात्मक शब्दों की लड़ी बनाइएः-
उत्तर – लिए -दिए, घटे – हटें, दहल – मचल, चरण-वरण, सपूत-दूत
प्रश्न 6. श्रुतलेखः –
- होनहार 2. कर्णधार 3. मातृभूमि 4. स्वाभिमान
- बेमिसाल 6. क्रान्ति 7. गुमान 8. सूरमा
प्रश्न 7. पर्यायवाची शब्द लिखिए:-
- देश 2. भूमि 3. सिन्धु 4. आसमान
- काल 6. त्याग 7. चरण 8. होनहार
उत्तर-
- देश — मुल्क, प्रदेश, वतन, राष्ट्र, राज्य।
- भूमि — धरती, धरा, भू, इला, धरणी।
- सिन्धु — सागर, नदीश, रत्नाकर, जलधि।
- आसमान — आकाश, अम्बर, नभ, गगन।
- काल — समय, वेला, वक्त।
- त्याग — बलिदान, दान, विराग।
- चरण — पैर, पाँव, पाद, पग, पद।
- होनहार — लायक, बुद्धिमान, अक्लमंद, प्रतिभाशाली।
प्रश्न 8. शिक्षक के लिए:-
शिक्षक इसी प्रकार की राष्ट्रप्रेम की अन्य कविता बच्चों को पढ़कर सुनाएं तथा उन्हें भी ऐसी ही राष्ट्रप्रेम की कविताएँ सुनाने के लिए प्रेरित करें।
Desh Ki Pukar Class 4 Hindi Poem Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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