पाठ “ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह” JKBOSE के कक्षा 5 (Class 5th of JKBOSE) के छात्रों की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 5 हिंदी का नौवाँ अध्याय है। यह पोस्ट Brigadier Rajinder Singh Class 5 Hindi Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप पाठ “ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Brigadier Rajinder Singh Class 5 Hindi Question Answers
Brigadier Rajinder Singh Class 5 Word Meanings
शब्द | अर्थ |
---|---|
उद्धारकता | मुक्ति दिलाने वाला |
युद्ध | लड़ाई |
हमलावर | आक्रमणकारी |
विलय | शामिल होना |
मरणोपरांत | मरने के बाद |
सम्मान | आदर, इज्जत |
कब्जा | अधिकार |
हमला | आक्रमण |
राहत | मुक्ति |
दुश्मन | शत्रु |
फैसला | निर्णय |
Brigadier Rajinder Singh Class 5 Hindi Explanation
ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह जम्वाल: कश्मीर के उद्धारकर्ता
ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह जम्वाल, जिन्हें कश्मीर के उद्धारकर्ता के रूप में सम्मानित किया जाता है, जम्मू और कश्मीर राज्य बलों के एक वीर अधिकारी थे। 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहादत प्राप्त की।
23 अक्टूबर 1947 से 26 अक्टूबर 1947 तक, ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह और उनके सैनिक उरी में अपने मोर्चे पर डटे रहे। उन्होंने भारी दुश्मन हमले का सामना किया और अपनी अंतिम गोली तक संघर्ष जारी रखा। उनकी रणनीतिक सूझबूझ और बहादुरी ने कश्मीर की रक्षा के लिए आवश्यक समय प्रदान किया, जिससे भारतीय सेना को आगे बढ़ने का अवसर मिला।
27 अक्टूबर 1947 को, महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, जिसके तुरंत बाद भारतीय सैनिक कश्मीर की रक्षा के लिए पहुंच गए। इन तीन दिनों की निर्णायक भूमिका के कारण ही कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बना।
ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह को उनकी असाधारण वीरता के लिए 30 दिसंबर 1949 को सेना प्रमुख फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा द्वारा मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके सम्मान में उनके पैतृक गांव बागुना का नाम बदलकर राजिंदपुरा रखा गया। इसके अलावा, बागुना, सांवा और कैनाल हेड में उनके नाम पर पार्क बनाए गए हैं, और जम्मू विश्वविद्यालय में एक सभागार भी उनके नाम से समर्पित है।
26 अक्टूबर 1947 को उरी-रामपुर सेक्टर में शहीद हुए इस वीर योद्धा को भारत हमेशा कश्मीर के उद्धारकर्ता के रूप में याद रखेगा। उनका बलिदान राष्ट्र के इतिहास में सदैव अमर रहेगा।
Brigadier Rajinder Singh Class 5 Hindi Question Answers
अभ्यास
प्रश्न 1. शब्दार्थ:-
उत्तर- इस प्रश्न के उत्तर क लिए ऊपर टेबल को देखें।
प्रश्न 2. मौखिक
(क) ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह जम्वाल का जन्म कब हुआ था?
उत्तर- 14 जून 1999 को।
(ख) ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह किस राज्य के निवासी थे?
उत्तर- ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह जम्मू के निवासी थे।
(ग) इनका जन्म कहाँ पर और किस परिवार में हुआ था?
उत्तर- इनका जन्म बागूना गाँव, सांबा जिला में एक सैन्य डोगरा परिवार में हुआ।
(घ) इन्होंने किस कॉलेज से पढ़ाई की थी?
उत्तर- इन्होंने जम्मू के प्रिंस आफ वेल्स कॉलेज से के प्रिंस आफ वेल्स कॉलेज से पढ़ाई की थी।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ के आधार पर लिखें:-
(क) ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह का ‘उपनाम’ क्या है?
उत्तर- कश्मीर का रक्षक।
(ख) राजेन्द्र सिंह को क्यों सम्मानित किया गया?
उत्तर- ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह जी ने पाकिस्तनी हमलावरों को कश्मीर पर कब्जा करने से अपनी अंतिम सांस तक रोक रखा था। इसलिए उन्हें मरणोपरांत भारत के पहले महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था ।
(ग) बिग्रेडियर राजेन्द्र सिंह के जीवन परिचय पर पाँच पंक्तियाँ लिखें।
उत्तर- 1. बिग्रेडियर राजेन्द्र सिंह जम्वाल का जन्म 14 जून 1899 को बागूना गांव जिला सांबा में हुआ ।
- राजेन्द्र सिंह का पालन-पोषण उनके चाचा जी ने किया।
- वे महाराजा हरि सिंह के सेनाध्यक्ष थे
- उन्होंने बडी वीरता से पाकिस्तानी हमलावरों का अंतिम सांस तक मुकाबला किया।
- 26 अक्टूबर 1947 को उड़ी-रामपुर सैक्टर में यह महान व्यक्ति शहीद हो गए।
(घ) कश्मीर पर किस देश / आक्रमणकारी ने कब्जा करने के उद्देश्य से हमला किया था?
उत्तर- कश्मीर पर पाकिस्तान ने कब्जा करने के उद्देश्य से हमला किया था।
(ङ) किन महाराजा के आदेशों का पालन ब्रिगेडियर साहब कर रहे थे?
उत्तर- ब्रिगेडियर साहब महाराजा हरि सिंह जी के आदेशों का पालन कर रहे थे।
(च) ब्रिगेडियर के पैतृक गृहनगर का नाम पहले क्या था और अब (वर्तमान) में क्या है?
उत्तर- ब्रिगेडियर के पैतृक गृहनगर का नाम पहले बागूना था और अब वर्तमान में राजेन्द्र पुरा है।
प्रश्न 4 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:-
ब्रिगेडियर ………… जिन्हें कश्मीर के ………… के रूप में भी …………। ………… में एक अधिकारी थे। उन्होंने ………… के लिए राज्य बलों के के ………… रूप में भी कार्य किया।
उत्तर-
ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह जम्वाल जिन्हें कश्मीर के उद्धारकर्ता के रूप में भी याद किया जाता है। कश्मीर राज्य बलों में एक अधिकारी थे। उन्होंने कुछ समय के लिए राज्य बलों के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में भी कार्य किया।
प्रश्न 5. उत्तर के सही विकल्प पर (✓) चिह्न लगाइए।
(क) ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह का जन्म हुआ थाः
1. 26 जून 1880
2. 27 अगस्त 1890
3. 14 जून 1899
4. 15 जून 1900
उत्तर- 3. 14 जून 1899
(ख) राजेन्द्र सिंह की सैन्य टुकड़ी में सैनिक थे:
1. 100
2. 200
3. 300
4. 400
उत्तर- 2. 200
(ग) पाकिस्तान ने श्रीनगर पर कब हमला किया?
1. 1974
2. 1948
3. 1950
4. इनमें से कोई नहीं
उत्तर- 4. इनमें से कोई नहीं
(घ) उन्हें किस रूप में याद किया जाता है?
1. ब्रिगेडियर के रूप में
2. वीर नायक के रूप में
3. कश्मीर के उद्धारकर्ता के रूप में
4. महाराजा के सैनिक के रूप में
उत्तर- 3. कश्मीर के उद्धारकर्ता के रूप में
(ड) उन्हें किस सम्मान से सम्मानित किया गया।
1. शौर्य चक्र
2. परमवीर चक्र
3. वीर चक्र
4. महावीर चक्र
उत्तर- 4. महावीर चक्र
(च) उनके पैतृक गृहनगर का वर्तमान नाम है:
1. लंगेट
2. तरोर
3. बगूना
4. राजेन्द्र पुरा
उत्तर- 4. राजेन्द्र पुरा
प्रश्न 6. ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह की शौर्य गाथा पर दस वाक्य लिखें।
उत्तर- जम्मू-कश्मीर की रियासत यदि आज भारत का अभिन्न अंग है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह को जाता है। 25 सितंबर 1947 को उन्होंने जम्मू और कश्मीर राज्य बलों के सेनाध्यक्ष का पदभार संभाला। उसी वर्ष 21-22 अक्टूबर की रात, जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर पर हमला किया, तो उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया।
महाराजा हरि सिंह के आदेश पर ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह मात्र 200 सैनिकों की टुकड़ी के साथ उड़ी पहुंचे, जहां उन्होंने दुश्मनों को कड़ा प्रतिरोध दिया। हमलावरों की संख्या अधिक थी और उनके पास अत्याधुनिक हथियार थे, फिर भी उन्होंने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद दुश्मनों को दो दिनों तक आगे बढ़ने से रोके रखा। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, 24 अक्टूबर को उन्होंने उड़ी का पुल नष्ट कर दिया, जिससे आक्रमणकारियों का श्रीनगर में प्रवेश असंभव हो गया।
लगातार चार दिनों तक दुश्मनों का डटकर सामना करने के बाद, 26 अक्टूबर 1947 को उड़ी-रामपुर सेक्टर में वे वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी इस अतुलनीय वीरता और बलिदान के सम्मान में उन्हें भारत के प्रथम महावीर चक्र से अलंकृत किया गया। ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह को सदा “कश्मीर के उद्धारकर्ता” के रूप में याद किया जाता है, जिनके बलिदान ने जम्मू-कश्मीर को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई।
Brigadier Rajinder Singh Class 5 Hindi Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में में साझा करें।
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