पाठ “कबीर जी के दोहे” JKBOSE के कक्षा 5 (Class 5th of JKBOSE) के छात्रों की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 5 हिंदी का दसवाँ अध्याय है। यह पोस्ट Kabir Ji Ke Dohe Class 5 Hindi Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप पाठ “कबीर जी के दोहे” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Brigadier Rajinder Singh Class 5 Hindi Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Kabir Ji Ke Dohe Class 5 Hindi Question Answers
Kabir Ji Ke Dohe Class 5 Hindi Explanation
प्रसंग सहित व्याख्या
- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाए ।
बलिहारी गुरु आपनों जिन गोविन्द दियो बताए।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है। । इस दोहे में कबीर जी गुरु की महानता बताते हुए कहते हैं गुरू का स्थान गोविंद से ऊँचा है।
व्याख्या- कबीर जी कहते हैं, यदि गुरू और गोविंद अर्थात् भगवान एक साथ खड़े हो तो पहले किसे प्रणाम करना चाहिए-गुरु को अथवा गोविंद को । कबीर कहते हैं कि ऐसी स्थिति में हमें पहले गुरु जी के चरणों में शीश झुकाना उत्तम हैं क्योंकि गुरु ने ही गोविन्द से हमारा परिचय कराया है इसलिए गुरु का स्थान गोविन्द से भी ऊँचा है।
- ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करे, आपहु सीतल होए।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में संकलित ‘कबीर जी के दोहे’ पाठ में से लिया गया है। इस दोहे में हमें कैसी वाणी बोलनी चाहिए यह बताया गया है।
व्याख्या- इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि हमें हमेशा ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो सामने वाले को सुनने में अच्छी लगे और उन्हें सुख की अनुभूति हो और साथ ही खुद को भी आनंद का अनुभव हो।
- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलै होएगी, बहुरि करेगा कब।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक भाषा-प्रवाह में संकलित ‘कबीर जी के दोहे पाठ में से लिया गया है। इस दोहे में कबीर जी हमें अपना काम समय पर करने की सीख दे रहे हैं।
व्याख्या- इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि हमें अपना काम कल पर नहीं टालना चाहिए। समय रहते ही अपना काम पूरा कर लेना चाहिए। पलभर में प्रलय हो जाएगी फिर आप अपना काम कब करोगे क्योंकि बीता हुआ समय फिर कभी हाथ नहीं आता।
- जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा वहाँ आप।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक भाषा-प्रवाह में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है।
व्याख्या- कबीर दास जी कहते हैं कि जहाँ दया है वहीं धर्म है और जहाँ लोभ है वहाँ पाप है और जहाँ क्रोध है वहाँ सर्वनाश है और जहाँ क्षमा है वहां ईश्वर का वास होता है।
- साईं इतना दीजिए, जा में कुटुम समाए।
मैं भी भूखा न रहुँ, साधु न भूखा जाए।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे में से लिया गया है।
व्याख्या– कबीर जी इस दोहे में प्रभु से प्रार्थना करते हुए कहते है कि हे ईश्वर! मुझे ज्यादा की इच्छा नहीं है। मुझे इतना ही दे जिसमें मेरे परिवार का बसर हो सके और कोई भूखा न रहे, न मैं और न ही जो मेरे घर-द्वार आये।
- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलियो कोय।
जो दिल खोजा आपना मो से बुरा न कोय।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है।
व्याख्या- कबीर जी इस दोहे में कहते हैं कि जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा नहीं मिला। तब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। अर्थात् बुराई इंसान के अपने अंदर होती है। इसलिए अच्छे को सारे अच्छे और बुरे को सारे बुरे दिखाई देते हैं।
- पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक लिया गया है। ‘भाषा-प्रवाह’ में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है।
व्याख्या- प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ईश्वर का नाम पूरे दिन के पाँच पहर काम काज दिये तीन पहर सोकर लेने की सलाह देते हुए कहते हैं कि हे मानव! तूने अपने बिता दिए, एक भी पहर में तुमने भगवान को याद नहीं किया, अब तू ही बता मुक्ति कैसे मिलेगी। कहने का भाव यह है कि हमें इस जीवन में खाने, पीने, सोने के साथ-साथ हरि – सिमरन भी करना चाहिए।
- दुःख में सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है।
व्याख्या- प्रस्तुत दोहे में कबीर जी कहते हैं कि जब इंसान पर दुःख या परेशानी आती है तो वो ईश्वर को याद करता है और सुख आने पर भूल जाता है। अगर वह सुख में भी भगवान का सिमरन करता रहे तो उस पर कभी कोई दुख या परेशानी नहीं आती। कहने का भाव है कि हमें हर समय प्रभु का सिमरन करते रहना चाहिए ।
- माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मन का डारि दे, मन का मनका फेर।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे में से लिया गया है।
व्याख्या- कबीर जी ने इस दोहे में कहा है कि माला से जप करते हुए कई दिन बीत जाने पर भी अगर मन के विकार समाप्त नहीं हुए, मन में शान्ति नहीं आई है तो माला से जप करना छोड कर अपने मन के विकारों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिरे पछताओगे, प्रान जाहि जब छूट ।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा – प्रवाह’ में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है।
व्याख्या- कबीर जी कहते हैं कि ये संसार ज्ञान से भरा पड़ा है। हर जगह राम बसे हैं। अभी समय हैं राम की भक्ति कर लो, नहीं तो जब अंत समय आएगा तो पछताना पड़ेगा। इसलिए जितना हो सके राम नाम का जप कर लो ताकि बाद में पछताना ना पड़े।
Kabir Ji Ke Dohe Class 5 Hindi Question Answers
अभ्यास
प्रश्न 1. श्रुतलेख-
गोविन्द बलिहारी वाणी शीतल
काल धर्म जहाँ सुमिरन
क्षमा कुटुम्ब मुक्ति
प्रश्न 2. दीर्घ प्रश्नोत्तर-
- कबीर जी ने पहले किसके पाँव पकड़ने की शिक्षा दी और क्यों?
उत्तर- कबीर जी ने पहले गुरु के पाँव पकड़ने की शिक्षा दी क्योंकि गुरु ने ही गोविंद से हमारा परिचय कराया है।
- कबीर जी ने कैसी वाणी बोलने को कहा?
उत्तर- कबीर जी ने मधुर वाणी बोलने को कहा है जो सुनने वाले को अच्छी लगे।
- कबीर जी ने अपना कार्य कब करने की शिक्षा दी है?
उत्तर- कबीर जी ने अपना कार्य आज ही करने की शिक्षा दी है।
प्रश्न 3. खाली स्थान भरें:-
- जहाँ दया वहाँ ……… है।
- जहाँ लोभी तहाँ ……… है।
- जहाँ क्रोध तहाँ ……… है।
- जहाँ क्षमा तहाँ ……… है।
- पाँच पहर ……… गया।
- तीन पहर गया ……… ।
- एक पहर ……… नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।
- लूट सके तो लूट ले, ……… नाम की लूट।
उत्तर-
- जहाँ दया वहाँ धर्म है
- जहाँ लोभी तहाँ पाप है ।
- जहाँ क्रोध तहाँ पाप है।
- जहाँ क्षमा तहाँ आप है ।
- पाँच पहर धन्धे गया।
- तीन पहर गया सोय।
- एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।
- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट करें-
(क) गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाए।
बलिहारी गुरु आपनों जिन गोविन्द दियो बताए।।
उत्तर- प्रसंग – प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में पाठ ‘कबीर जी के दोहे’ में से लिया गया है । इस दोहे में कबीर जी गुरु की महानता बताते हुए कहते हैं गुरू का स्थान गोविंद से ऊँचा है।
व्याख्या- कबीर जी कहते हैं, यदि गुरू और गोविंद अर्थात् भगवान एक साथ खड़े हो तो पहले किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरु को अथवा गोविंद को । कबीर कहते हैं कि ऐसी स्थिति में हमें पहले गुरु जी के चरणों में शीश झुकाना उत्तम हैं क्योंकि गुरु ने ही गोविन्द से से भी ऊँचा है।
(ख) दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।
प्रसंग- प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-प्रवाह’ में संकलित पाठ ‘कबीर जी के दोहे में से लिया गया है।
व्याख्या- प्रस्तुत दोहे में कबीर जी कहते हैं कि जब इंसान पर दुःख या परेशानी आती है तो वो ईश्वर को याद करता है और सुख आने पर भूल जाता है। अगर वह सुख में भी भगवान का सिमरन करता रहे तो उस पर कभी कोई दुख या परेशानी नहीं आती। कहने का भाव है कि हमे हर समय प्रभु का सिमरन करते रहना चाहिए।
प्रश्न 5. रचनात्मक कार्य-
बच्चे कबीर जी का चित्र यहाँ चिपकाए या (बिंदी ( ) और चन्द्र बिन्दु ( बनाने का प्रयास करे।
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।
(आ)
सुमिरन – स्मरण
कुटुम – कुटुम्ब
प्रान – प्राण
दोउ – दोनों
काके – किसके
पाए – पाँव
परलै – प्रलय
कोहे – क्यों
डारि – डाल (फेंकना, छोड़ना)
पाछे – पीछे (बाद में)
आपना – अपना
सीतल – शीतल
(ख) कबीर जी का एक दोहा जो बच्चे को सबसे अच्छा लगे उसे यहाँ लिखें और कागज पर लिखकर कक्षा में भी लगाएँ।
उत्तर- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलै होएगी, बहुरि करेगा कब।।
(ग) बच्चे को जो भी दोहा पसंद है उसे गाने का प्रयास करें। इन दोहों को अपनी प्रार्थना सभा में सुनाने का प्रयास करे।
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें।
प्रश्न 6. पढें और समझे
प्रश्न 7. शब्दों को सही स्थान पर लिखिए
टाँग सुगंध चंचल गंगा कहाँ उँगली पहुँच यहाँ कंस रंग चिडियाँ तिरंगा आँचल बंदर वहाँ कहाँ
बिंदी ( ं) के शब्द चन्द्र बिन्दु (ँ )
………………….. …………………..
उत्तर-
बिंदी ( ं) के शब्द
लसुगंध, चंचल, गंगा, कंस, रंग, तिरंगा, बंदर
चन्द्र बिन्दु (ँ )
टाँग, कहाँ, उँगली,पहुँच, यहाँ, चिड़ियाँ, आँचल, वहाँ, कहाँ
प्रश्न 8. अध्यापक / अध्यापिका जी की सहायता से कबीर जी के जीवन के बारे में संक्षेप निबन्ध लिखें।
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें।
प्रश्न 9 विलोम शब्द
शब्द विपरीत शब्द / विलोम शब्द
अमीर गरीब
एक अनेक
कटु मधुर
गन्दा साफ
अपना पराया
अच्छा बुरा
उत्तर-
अमीर गरीब
एक अनेक
कटु मधुर
गन्दा साफ
अपना पराया
अच्छा बुरा
प्रश्न 10. ‘संज्ञा’ की परिभाषा और संज्ञा के भेद बताएँ।
उत्तर- किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के मुख्यतः तीन भेद हैं:-
(1) व्यक्तिवाचक – जो संज्ञाएँ किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान का बोध करायें उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। यथा- राम, मोहन, गंगा हिमालय।
(2) जातिवाचक – जिन संज्ञाओं में एक जाति के सब पदार्थों का बोध हो, वे जातिवाचक संज्ञाएं कहलाती हैं। यथा- शेर, लड़का, घोड़ा, पहाड़ आदि।
(3) भाववाचक – जिन संज्ञाओं से पदार्थों के गुण दोष अवस्था आदि भाव जाने जाते हैं वे भाववाचक संज्ञाएं कहलाती हैं। यथा-मिठास, कोमलता, खटास आदि।
प्रश्न 11. ‘सर्वनाम की परिभाषा और सर्वनाम के भेद बताएँ।
उत्तर- वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हों, सर्वनाम कहलाते हैं। यथा- यह, वह, कोई, कौन, कुछ आदि।
सर्वनाम के भेद पांच है-
- पुरुषवाचक सर्वनाम: – जिस सर्वनाम से बात करने वाले, बात सुनने वाले, जिस के विषय में बात की जाए का बोध हो, जैसे- मैं, तू, वह आदि।
(1) उत्तम पुरुष — बात करने वाला- मैं, हमा
(2) मध्यम पुरुष — तृ, तुम।
(3) अन्य पुरुष — वह, वे आदि।
- निश्चयवाचक सर्वनाम:- जिससे किसी प्राणी अथवा वस्तु की ओर निश्चित संकेत मिले वह निश्यचावाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे- यह मेरा भाई है। वह तेरा घर हैं।
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम:- जिन सर्वनामों से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का निश्चित बोध न हो, अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। यथा- कोई आया था।
- सम्बन्धवाचक सर्वनाम :- जिन सर्वनामों में से एक वस्तु का दूसरी वस्तु से सम्बन्ध ज्ञात हो, वे सम्बन्ध वाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- जो बोयेगा सो काटेगा।
- प्रश्नवाचक सर्वनाम:- जिन सर्वनामों से प्रश्न पूछा जाए वे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। यथा- कौन आया है? क्या लाये हो? आदि।
हिन्दी में केवल बारह सर्वनाम हैं-
मैं, तू, आप, यह, वह, सो, जो, कोई,
कुछ, कौन, क्या, सब।
Kabir Ji Ke Dohe Class 5 Hindi Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में में साझा करें।
Leave a Reply