कविता “कदंब का पेड़” JKBOSE के कक्षा 5 (Class 5th of JKBOSE) के छात्रों की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 5 हिंदी का आठवाँ अध्याय है। यह कविता कवयित्री ‘सुभद्राकुमारी चौहान’ द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप कविता “कदंब का पेड़” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Nanha Fankar Class 5 Hindi Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Question Answers
Kadamb Ka Ped Class 5 Poem Text
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे ।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ।।
ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली।।
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता।
उस नीची डाली से अम्माँ ऊँचे पर चढ़ जाता।।
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
अम्माँ अम्माँ कह वंशी के स्वर में तुम्हें बुलाता।।
सुन मेरी बंसी को माँ तुम कितनी खुश हो जातीं।
मुझे देखने काम छोड़कर तुम बाहर तक आतीं।।
तुम को आती देख बाँसुरी रख में चुप हो जाता।
एक बार माँ कह पत्तों में धीरे से छिप जाता।।
तुम हो चकित देखती चारों ओर न मुझ को पातीं।
व्याकुल- सी हो तब कदंब के नीचे तक आ जातीं।
पत्तों का मरमर स्वर सुन जब ऊपर आँख उठातीं।
मुझे देख ऊपर डाली पर कितनी घबरा जातीं।
गुस्सा होकर मुझे डाँटती कहती नीचे आजा।
पर जब मैं न उतरता हँसकर कहती मुन्ना राजा।
नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हें मिठाई दूँगी।
नए खिलौने,माखन, मिश्री, दूध, मलाई दूँगी।
Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Word Meanings
शब्द | अर्थ |
---|---|
तीरे | किनारे |
स्वर | आवाज |
टहनी | शाखा, डाली |
अम्मों | माँ, माता |
माखन | मक्खन |
गुस्सा | क्रोध |
Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Poem Explanation
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे ।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ।।
ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली।।
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ सुप्रसिद्ध कवि सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कविता “यह कदंब का पेड़…” से ली गई हैं। इसमें बालकृष्ण के प्रति प्रेम तथा मातृ-स्नेह का सुंदर चित्रण किया गया है।
व्याख्या: कवयित्री एक कल्पना करती हैं कि यदि यमुना के किनारे खड़ा कदंब का पेड़ उसकी माँ होता, तो वह धीरे-धीरे उस पर चढ़कर कन्हैया जैसा बन जाता। यह पंक्तियाँ बाल मनोविज्ञान को दर्शाती हैं, जहाँ बच्चा अपने परिवेश में कृष्ण की तरह खेलने की इच्छा रखता है। कदंब के पेड़ और बांसुरी का संदर्भ श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है, जिससे बाल सुलभ चंचलता और उत्साह प्रकट होता है।
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता।
उस नीची डाली से अम्माँ ऊँचे पर चढ़ जाता।।
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
अम्माँ अम्माँ कह वंशी के स्वर में तुम्हें बुलाता।।
संदर्भ: यह पंक्तियाँ भी इसी कविता का भाग हैं, जहाँ बालक अपनी कल्पनाओं में खोकर कृष्ण रूप धारण कर माँ के साथ खेलना चाहता है।
व्याख्या: कवयित्री कहती हैं कि यदि उसे कोई दो पैसे वाली बांसुरी दे देता और कदंब का पेड़ थोड़ा झुक जाता, तो वह आसानी से उस पर चढ़ जाता। यह पंक्तियाँ बाल सुलभ सरलता और कल्पना शक्ति को दर्शाती हैं, जहाँ एक छोटा बच्चा अपनी माँ के साथ खेलते हुए कृष्ण रूप धारण करने की इच्छा रखता है। यहाँ माँ के प्रति गहरे प्रेम और खेल-भावना का सुंदर चित्रण है।
सुन मेरी बंसी को माँ तुम कितनी खुश हो जातीं।
मुझे देखने काम छोड़कर तुम बाहर तक आतीं।।
तुम को आती देख बाँसुरी रख में चुप हो जाता।
एक बार माँ कह पत्तों में धीरे से छिप जाता।।
संदर्भ: यह कविता बालक और उसकी माँ के बीच प्रेमिल संबंध को दर्शाती है, जहाँ बालक माँ को छिपकर चिढ़ाने और बुलाने का खेल खेलता है।
व्याख्या: बच्चा कल्पना करता है कि वह कदंब के पेड़ की नीची डाली पर चढ़ जाता और वहाँ बैठकर बांसुरी बजाता। बांसुरी की ध्वनि सुनकर माँ खुश होतीं और उसे देखने बाहर आ जातीं। यह दर्शाता है कि माँ अपने बच्चे की हर गतिविधि पर ध्यान देती है और उसकी हर खुशी में सम्मिलित होती है। यह माँ और संतान के बीच गहरे प्रेम और आत्मीयता का प्रतीक है।
तुम हो चकित देखती चारों ओर न मुझ को पातीं।
व्याकुल- सी हो तब कदंब के नीचे तक आ जातीं।
पत्तों का मरमर स्वर सुन जब ऊपर आँख उठातीं।
मुझे देख ऊपर डाली पर कितनी घबरा जातीं।
संदर्भ: इन पंक्तियों में माँ की चिंता, वात्सल्य और स्नेह का कोमल चित्रण किया गया है।
व्याख्या: जब माँ बांसुरी की ध्वनि सुनकर बाहर आती हैं, तो बच्चा पत्तों के पीछे छिप जाता है। माँ उसे न पाकर व्याकुल हो जाती हैं और इधर-उधर देखने लगती हैं। जब वह ऊपर देखती हैं, तो पेड़ की ऊँची डाली पर बैठे अपने बच्चे को देखकर घबरा जाती हैं। यह माँ के स्वाभाविक प्रेम और चिंता का चित्रण करता है, जो अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर सदैव सतर्क रहती है।
गुस्सा होकर मुझे डाँटती कहती नीचे आजा।
पर जब मैं न उतरता हँसकर कहती मुन्ना राजा।
नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हें मिठाई दूँगी।
नए खिलौने,माखन, मिश्री, दूध, मलाई दूँगी।
संदर्भ: यह अंतिम पंक्तियाँ माँ के वात्सल्य और प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाती हैं।
व्याख्या: माँ पहले गुस्सा होकर डांटती हैं, लेकिन जब बच्चा नीचे नहीं उतरता, तो वह प्यार से उसे मनाने लगती हैं। वह उसे मिठाई, माखन-मिश्री और खिलौनों का लालच देती हैं, ताकि बच्चा नीचे आ जाए। यह माँ की ममता का सर्वोत्तम उदाहरण है, जहाँ वह गुस्से के बाद प्रेम और लाड़ से अपने बच्चे को बुलाती है।
Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Question Answers
प्रश्न 2. शब्दार्थ:-
उत्तर- इस प्रश्न के उत्तर क लिए ऊपर दिए गए टेबल को देखें।
प्रश्न 3. लघु प्रश्न:-
- कदंब का पेड़ किस नदी के किनारे है?
उत्तर- यमुना नदी के किनारे।
- बच्चा कदंब के पेड पर बैठकर क्या बनना चाहता है?
उत्तर- कन्हैया।
- बच्चा कहाँ बैठकर बाँसुरी बजाना चाहता है और वहाँ से किस को बुलाना चाहता है?
उत्तर- बच्चा कदंब के पेड़ पर बैठकर बाँसुरी बजाना चाहता है और अपनी माँ को बुलाना चाहता है।
- बच्चा कहाँ छिपना चाहता है?
उत्तर- कदंब के पेड के पत्तों में।
- माँ हँसकर बच्चे को क्या कह कर पुकारती है?
उत्तर- मुन्ना राजा।
प्रश्न 4. दीर्घ प्रश्न-
- बच्चा कहाँ और किस पर बैठकर कन्हैया बनने की बात कर रहा है?
उत्तर- बच्चा यमुना नदी के किनारे कदंब के पेड़ पर बैठकर कन्हैया बनने की बात कर रहा है।
- बच्चा किस को बुला रहा है और क्यों?
उत्तर- बच्चा लुका-छुपी खेलने के लिए अपनी माँ को बुला रहा है।
- पेड़ से नीचे उतारने के लिए माँ बच्चे को क्या-क्या देने की बात करती है?
उत्तर- पेड़ से नीचे उतारने के लिए माँ बच्चे को दूध, मिठाई, मलाई, माखन, मिश्री और नए खिलौने देने की बात करती है।
प्रश्न 5. किसने, किसको, क्यों कहा:-
- यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
उत्तर- बच्चे ने अपनी माँ से कहा क्योंकि वह उसपर बैठकर कन्हैया बनना चाहता है ।
- सुन मेरी बंसी को माँ तुम कितनी खुश हो जाती।
उत्तर- बच्चे ने माँ से कहा क्योंकि उसे पता है कि उसकी माँ बाँसुरी का आवाज़ सुन खुश हो जाएगी।
- गुस्सा होकर मुझे डाँटती, कहती नीचे आजा।
उत्तर- बच्चे ने अपनी माँ से कहा क्योंकि बच्चे को ऊपर की डाली पर चढा देखकर माँ डर जाती और उसे गुस्से से नीचे आने को कहती है।
प्रश्न 6. रिक्त स्थान भरें:-
- मैं भी उस पर बैठ …………. बनता धीरे-धीरे ।
- वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं …………. बजाता।
- व्याकुल-सी हो तब …………. के नीचे तक आ जाती।
- पर जब मैं न उतरता हँसकर कहती …………. ।
उत्तर-
- मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे।
- वहीं बैठ फिर बड़े मज़े से मैं बांसुरी बजाता।
- व्याकुल-सी हो तब कदंब के नीचे तक आ जाती।
- पर जब मैं न उतरता हँसकर कहती मुन्ना राजा।
प्रश्न 7. सही (✔) और गलत ( x ) का निशान लगाएँ:-
- ले देती यदि मुझे बाँसुरी तुम दस पैसे वाली। ( )
- अम्माँ-अम्माँ कह वंशी के स्वर में तुम्हें नहीं बुलाता। ( )
- मुझे देखने काम छोड़कर तुम बाहर तक आती। ( )
- मुझे देख ऊपर डाली पर कितनी खुश हो जाती। ( )
उत्तर- 1. ले देती यदि मुझे बाँसुरी तुम दस पैसे वाली। (x)
- अम्माँ-अम्माँ कह वंशी के स्वर में तुम्हें नहीं बुलाता। (x)
- मुझे देखने काम छोड़कर तुम बाहर तक आती। (✔)
- मुझे देख ऊपर डाली पर कितनी खुश हो जाती। (x)
प्रश्न 8. खेल-खेल में
पढ़िए, शब्दों की अन्त्याक्षरी समझिए । अमर→ रकम मकान → नमक → कमर → रात → तोता।
प्रश्न 9. रचनात्मक कार्य
बच्चे कदंब के पेड का चित्र यहाँ चिपकाएँ-
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।
श्रीकृष्ण जी का चित्र बनाएँ जिसमें वह बाँसुरी बजा रहे हो। (बच्चे प्रयास करें)
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 10. व्याकरण कार्य
(क) लिंग बदलें –
पुल्लिंग — स्त्रीलिंग
पिता —
बेटा —
भाई —
अध्यापक —
नायक —
उत्तर-
पुल्लिंग — स्त्रीलिंग
पिता — माता
बेटा — बेटी
भाई — बहन
अध्यापक — अध्यापिका
नायक — नायिका
(ख) वचन बदलें:-
एकवचन — बहुवचन
बाँसुरी —
डाली —
पत्ता —
आँख —
खिलौना —
मिठाई —
उत्तर- एकवचन — बहुवचन
बाँसुरी — बाँसुरियाँ
डाली — डालियाँ
पत्ता — पत्ते
आँख — आँखें
खिलौना — खिलौने
मिठाई — मिठाईयाँ
(ग) पर्यायवाची शब्द-
पेड़ —
माँ —
तीर —
आँख —
गुस्सा —
दूध —
उत्तर-
पेड़ — तरु, विटप
माँ — जननी, माता
तीर — वाण, शर
आँख — नयन, लोचन
गुस्सा — क्रोध, कोप
दूध — दुग्ध, गोरस
Kadamb Ka Ped Class 5 Hindi Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में में साझा करें।
Leave a Reply