कविता “पुष्प की अभिलाषा” JKBOSE के कक्षा 5 (Class 5th of JKBOSE) के छात्रों की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 5 हिंदी का पहला अध्याय है। यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Pushap Ki Abhilasha Class 5 Hindi Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप कविता ” सुमन एक उपवन के” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। आप JKBOSE Class 5th Hindi भाषा प्रवाह भाग 5 के अन्य पाठों के प्रशनोत्तर पाने के लिए यहाँ क्लिक करें। आइए शुरू करें:
Pushap Ki Abhilasha Class 5 Hindi Question Answers
Pushap Ki Abhilasha (पुष्प की अभिलाषा कविता) Poem Text
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं प्रेमी – माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना, वनमाली
उस पथ में देना मुझे फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
Pushap Ki Abhilasha Word Meanings (पुष्प की अभिलाषा शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
गहना | ज़ेवर। |
सम्राट | बड़ा राजा। |
चाह | इच्छा, कामना। |
पथ | राह, रास्ता, मार्ग। |
शीर्ष | सिर। |
अनेक | कई, बहुत से, एक से अधिक। |
सुरबाला | स्वर्ग की सुन्दरी, अप्सरा। |
गूँथा जाऊँ | पिरोया जाऊँ। |
प्यारी | प्रेमिका। |
सम्राटों | राजाओं। |
शव | मृतक शरीर, लाश। |
हरि | ईश्वर भगवान। |
देवों | देवताओं। |
भाग्य | किस्मत। |
इठलाऊँ | इतराऊँ, गर्व करूँ। |
वनमाली | बगीचे का माली। |
मातृभूमि | जन्मभूमि। |
शीश | सिर, मस्तक। |
वीर | बहादुर। |
शीश चढ़ाना | बलिदान देना। |
Pushap Ki Abhilasha Explanation (पुष्प की अभिलाषा सरलार्थ)
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं प्रेमी – माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित प्रसिद्ध कविता “पुष्प की अभिलाषा” से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने पुष्प के माध्यम से अपने देशभक्ति पूर्ण विचारों को प्रकट किया है।
व्याख्या: इस पद में कवि पुष्प की अभिलाषा को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि उन्हें यह इच्छा नहीं है कि वे किसी सुंदर स्त्री (सुरबाला) के गहनों में गूँथे जाएँ। अर्थात्, उन्हें सांसारिक सुख-सौंदर्य या विलासिता की कोई लालसा नहीं है। वे नहीं चाहते कि वे प्रेममाला में पिरोकर किसी प्रिय को लुभाएँ या किसी की व्यक्तिगत खुशी का साधन बनें। यह पंक्तियाँ त्याग, बलिदान और उच्च आदर्शों के प्रति कवि की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
प्रसंग: यह पंक्तियाँ भी “पुष्प की अभिलाषा” कविता से ली गई हैं, जिनमें कवि देशभक्ति की भावना को पुष्प के माध्यम से व्यक्त कर रहे हैं।
व्याख्या: इस पद में कवि कहते हैं कि उन्हें यह इच्छा नहीं है कि उन्हें किसी सम्राट के शव पर चढ़ाया जाए। अर्थात्, वे अपने अस्तित्व को राजा-महाराजाओं या शासकों के सम्मान में अर्पित नहीं करना चाहते। इसी तरह, वे यह भी नहीं चाहते कि वे देवताओं के मुकुट का श्रृंगार बनें और अपने भाग्य पर इठलाएँ। इसका अर्थ यह है कि कवि सांसारिक ऐश्वर्य, शक्ति और देवत्व जैसी उपलब्धियों की चाह नहीं रखते। वे इन सबसे ऊपर उठकर एक श्रेष्ठ और पवित्र उद्देश्य की पूर्ति करना चाहते हैं।
मुझे तोड़ लेना, वनमाली
उस पथ में देना मुझे फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
प्रसंग: यह कविता का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें कवि अपने वास्तविक उद्देश्य को प्रकट करते हैं।
व्याख्या: इस पद में कवि वनमाली (प्रकृति या माली) से प्रार्थना करते हैं कि जब वे पुष्प को तोड़ें, तो उसे किसी ऐसी राह में फेंकें, जहाँ से देश के लिए बलिदान होने वाले वीर गुजरते हैं। कवि की अंतिम इच्छा यह है कि वे उन वीरों के चरणों में अर्पित हों, जो मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने जा रहे हैं। यह भावना कवि के राष्ट्रप्रेम, त्याग और बलिदान की चरम सीमा को दर्शाती है। वे किसी भोग-विलास, ऐश्वर्य या राजसी सम्मान के लिए नहीं, बल्कि अपने देश के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करना चाहते हैं।
Pushap Ki Abhilasha Class 5 Hindi Question Answers
अभ्यास कार्य
(1) मौखिक प्रश्नोत्तर-
(क) इस कविता का शीर्षक क्या है?
उत्तर- ‘पुष्प की अभिलाषा’ ।
(ख) ‘पुष्प’ शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर- फूल ।
(ग) ‘अभिलाषा’ शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर- इच्छा ।
(घ) शब्दार्थः-
उत्तर- इस का उत्तर ऊपर दिए गए टेबल से देख लीजिए।
(2) लघु लिखित प्रश्नोत्तर-
(क) इस कविता मे पुष्प किसके गहनों में नहीं गूँथने की बात कर रहा है?
उत्तर- इस कविता में पुष्प किसी अप्सरा के गहनों में नहीं गूंथने की बात कर रहा है।
(ख) इस कविता में पुष्प किसके सिर पर न चढ़ने की बात कर रहा है?
उत्तर- इस कविता में पुष्प देवताओं के सिर पर न चढ़ने की बात कर रहा है
(ग) इस कविता में पुष्प कहाँ चढ़ने की बात कर रहा है?
उत्तर- इस कविता में पुष्प उस राह पर बिछना चाहता है जहाँ से देश की रक्षा के लिए अनेकों वीर बलिदान होने के लिए जाते हों।
(3) दीर्घ लिखित प्रश्नोत्तर-
(क) ‘पुष्प की अभिलाषा’ का अर्थ लिखें।
उत्तर- फूल की इच्छा ।
(ख) पुष्प को किन बातों की चाह नहीं?
उत्तर- पुष्प को अप्सरा के गहनों में, प्रेमी की माला में गूँथे जाने की, राजाओं के शव पर और देवताओं की मूर्त्तियों पर चढ़ाए जाने की इच्छा (चाह) नहीं हैं।
(ग) पुष्प वनमाली से क्या अभिलाषा प्रकट करता है?
उत्तर – पुष्प वनमाली से यह अभिलाषा प्रकट करता है कि उसे तोड़कर उस राह पर फैंक दिया जाए जहाँ से मातृभूमि पर बलिदान होने के लिए अनेकों वीर जाते हों।
(4) सत्य कथन के आगे (✓) और गलत कथन के आगे (x) का चिह्न लगाएँ-
(क) पुष्प की अभिलाषा है कि वह सुरबाला के गहनों में गूँथा जाए ( )
(ख) पुष्प की अभिलाषा है कि उसे सम्राटों के शवों पर चढ़ाया जाए ( )
(ग) पुष्प की अभिलाषा नहीं है कि वह देवों के सिर पर चढ़े ( )
(घ) पुष्प की अभिलाषा है कि वह वीरों के चरणों को स्पर्श करे ( )
उत्तर- (क) पुष्प की अभिलाषा है कि वह सुरबाला के गहनों में गूँथा जाए (x)
(ख) पुष्प की अभिलाषा है कि उसे सम्राटों के शवों पर चढ़ाया जाए (x)
(ग) पुष्प की अभिलाषा नहीं है कि वह देवों के सिर पर चढ़े (✓)
(घ) पुष्प की अभिलाषा है कि वह वीरों के चरणों को स्पर्श करे (✓)
(5) पाठ की उन पंक्तियों को लिखें जिनमें यह भाव आए हैं:-
मैं यह नहीं चाहता कि मुझे कोई सुन्दर स्त्री अपने गहनों में गूँथ ले।
…………………………..
…………………………..
उत्तर- मैं यह नहीं चाहता कि मुझे कोई सुन्दर स्त्री अपने गहनों में गूँथ ले।
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाँऊ।
(6) भाव स्पष्ट करें:-
मुझे तोड़ लेना, वनमाली।
उस पथ में देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
भावः – पुष्प की अभिलाषा है कि माली उसे तोड़ कर उस राह पर फेंक दे जिस पथ पर मातृभूमि के लिए अपना बलिदान देने वाले वीर जाते हों। भाव यह है कि हमें अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्हीं वीरों को इस कविता में महत्त्व दिया गया है जो देश की रक्षा के लिए अपना शीश कटा देते हैं। इसमें देशभक्ति की भावना को भी महत्त्व दिया गया है ।
(7) पूरा करें:-
(क) चाह नहीं प्रेमी –- माला में ……………
उत्तर- चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
(ख) चाह नहीं देवों के सिर पर ……………
उत्तर- चाह नहीं देवों के सिर पर चहूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
(ग) मातृभूमि पर शीश चढ़ाने ……………
उत्तर- मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएँ
वीर अनेक।
(8) इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर :- प्रस्तुत कविता देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है। इसमें देश के लिए प्राण देने वाले वीरों को महत्त्व दिया गया है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देना चाहिए। मातृभूमि की रक्षा करनी चाहिए ।
(9) अपने अध्यापक से बातचीत करते हुए उन्हें बताएँ कि आप किस तरह देश की सेवा करना चाहते हैं?
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें
(10) प्रस्तुत पाठ राष्ट्र – प्रेम को उजागर करता है। अध्यापक की सहायता से राष्ट्र-प्रेम से संबंधित कोई कविता लें तथा कक्षा में उसका सस्वर वाचन करें।
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें।
(11) पुष्प का चित्र बनाएँ और रंग भरें:-
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें।
(12) भारत देश के तिरंगे झंडे का चित्र बनाएँ और उसमें रंग भरें:-
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें।
(13) (क) भाषा की परिभाषा और प्रकार लिखिए।
उत्तर- जिस साधन से हम अपने मन के भाव या विचार प्रकट करते हैं तथा दूसरे के विचारों को समझ सकते हैं, उसे भाषा कहते हैं।
भाषा के तीन प्रकार हैं:-
- मौखिक, 2. लिखित 3. सांकेतिक।
(ख) वर्ण की परिभाषा और इसके भेद लिखिए।
उत्तर- भाषा की सबसे छोटी इकाई, जिसके खंड नहीं किए जा सकते वर्ण कहलाती है। वर्ण के दो भेद होते हैं- स्वर और व्यंजन।
(14) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द –
- जानने की इच्छा — जिज्ञासा।
- मधुर बोलने वाला — मधुरभाषी
- जो वन में घूमता हो — वनचर
- जो ऊपर कहा गया है — उपर्युक्त
- मास में एक बार आने वाला — मासिक
- हमेशा सत्य बोलने वाला — सत्यवादी
- जो भगवान में विश्वास रखता हो — आस्तिक
- दया करने वाला — दयालु
Pushap Ki Abhilasha Class 5 Hindi Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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