कविता “मन के भोले-भाले बादल” JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 4 हिंदी (Bhasha Prwah Class 4th Hindi) का आठवाँ पाठ है। यह कविता समाज की समस्याओं आकांक्षाओं एवं परिस्थितियों का सजीव चित्रण करने वाले कवि एवं साहित्यकार कल्पनाथ सिंह द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Mann Ke Bhole Bhale Badal Class 4 Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप पाठ ” तवी की आत्म कथा ” के शब्दार्थ, सरलार्थ ,और उससे जुड़े प्रश्न उत्तर (Mann Ke Bhole Bhale Badal JKBOSE Class 4 Hindi Question Answers) पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Tawi Ki Aatm Katha JKBOSE Class 4 Hindi Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Mann Ke Bhole Bhale Badal Class 4 Question Answers
Mann Ke Bhole Bhale Badal (मन के भोले-भाले बादल कविता) Poem Text
झब्बर – झब्बर बालों वाले
गुब्बारे से गालों वाले
लगे दौड़ने आसमान में
झूम-झूम कर काले बादल।
कुछ जोकर से तोंद फुलाए
कुछ हाथी-से सूँड उठाए
कुछ ऊँटों से कुबड़ वाले
कुछ परियों से पंख लगाए
आपस में टकराते रह-रह
भोरों से मतवाले बादल।
कुछ तो लगते हैं तूफानी
कुछ रह-रह करते शैतानी
कुछ अपने थैलों से चुपके
झर-झर-झर बरसाते पानी
नहीं किसी की सुनते कुछ भी
ढोलक-ढोल बजाते बादल।
रह-रह कर छत पर आ जाते
फिर चुपके ऊपर उड़ जाते
कभी-कभी ज़िद्दी बन कर के
बाढ़ नदी-नालों में लाते
फिर भी लगते बहुत भले हैं
मन के भोले-भाले बादल।
Mann Ke Bhole Bhale Badal Word Meaning (मन के भोले-भाले बादल शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
झब्बर | बड़े तथा घने, लंबे और खुले हुए बड़े-बड़े बालों वाला। |
तोंद | बढ़ा हुआ पेट, मोटा पेट। |
कूबड़ | पीठ का उभरा हुआ या झुका हुआ टेढ़ापन। |
मतवाले | मस्त, मस्ती से भरे हुए। |
शैतानी | शरारत, शरारत वाला काम। |
जिद्दी | हठी। |
भले | अच्छे । |
भोले-भाले | सरल, निश्छल। |
Mann Ke Bhole Bhale Badal Poem Explanation (मन के भोले-भाले बादल सरलार्थ)
पद्यांशों का सरलार्थ
1. झब्बर – झब्बर बालों वाले
गुब्बारे से गालों वाले
लगे दौड़ने आसमान में
झूम-झूम कर काले बादल।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में ‘मन के भोले-भाले बादल’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता श्री कल्पनाथ सिंह हैं। कवि ने आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों का चित्रण किया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि बड़े और खुले हुए बालों की तरह काले और घने बादल आकाश में छा गए। वे गुब्बारे की तरह फूली फूली गालों वाले से लगते हैं। काले बादल खुशी में झूम-झूम कर सारे आसमान में इधर-उधर दौड़ने लगे।
2. कुछ जोकर से तोंद फुलाए
कुछ हाथी-से सूँड उठाए
कुछ ऊँटों से कुबड़ वाले
कुछ परियों से पंख लगाए
आपस में टकराते रह-रह
भोरों से मतवाले बादल ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में संकलित ‘मन के भोले-भाले बादल’ नामक कविता से ली गई हैं। इस के रचयिता श्री कल्पनाथ | सिंह हैं। कवि को आकाश में मंडराते बादलों के अलग- अलग रूप और आकार दिखाई देते हैं।
सरलार्थ – कवि कहता है कि कुछ बादल ऐसे हैं जैसे मोटे जोकर जो अपना पेट फूला हुआ दिखाते हैं, और कुछ हाथी के जैसे जो अपनी सूंड उठाते हुए लगते हैं। कुछ बादल ऊँचे-ऊँचे कूबड़ वाले ऊँटों की तरह दिखते हैं। कुछ बादल तो परियों की तरह पँख लगा कर इधर-उधर टकराते हुए दिखते हैं। सभी बादल आकाश में भंवरों की तरह अँधेरे और खुशी से भरे लगते हैं।
3. कुछ तो लगते हैं तूफानी
कुछ रह-रह करते शैतानी
कुछ अपने थैलों से चुपके
झर-झर-झर बरसाते पानी
नहीं किसी की सुनते कुछ भी
ढोलक-ढोल बजाते बादल।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां श्री कल्पनाथ सिंह के द्वारा रचित कविता ‘मन के भोले-भाले बादल’ से ली गई हैं । इन्हें हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में संकलित किया गया है। आकाश में छाए बादल तरह- तरह से व्यवहार करते हैं ।
सरलार्थ – कवि कहते हैं कि आसमान में घूमते कुछ बादल बहुत ही शरारती तूफान की तरह लगते हैं। कुछ बादल थोड़ी-थोड़ी देर में ही शरारत करने लगते हैं। कुछ बादल अपने थैलों से चुपचाप पानी निकालकर धरती पर बरसाने लगते हैं। गरजन जैसे ढोलक-ढोल बजाते हुए ये बादल किसी की बात नहीं सुनते; ये किसी की परवाह नहीं करते।
4. रह-रह कर छत पर आ जाते
फिर चुपके ऊपर उड़ जाते
कभी-कभी ज़िद्दी बन कर के
बाढ़ नदी-नालों में लाते
फिर भी लगते बहुत भले हैं
मन के भोले-भाले बादल।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ से ली गई हैं। इन्हें श्री कल्पनाथ सिंह द्वारा रचित कविता ‘मन के भोले-भाले बादल’ से लिया गया है। कवि ने बादलों के चंचल स्वभाव को सुंदर ढंग से प्रकट किया है। ।
सरलार्थ – कवि कहते हैं कि बादल थोड़ी-थोड़ी देर बाद घर की छत पर उड़ते हुए आ जाते हैं। वे अचानक चुपके से ऊपर आकाश की ओर उड़ जाते हैं। वे कभी-कभी जिद्दी बन कर लगातार बरसते रहते हैं और नदी-नालों में बाढ़ ले आते हैं। वे चाहे बाढ़ लाते हैं पर फिर भी बहुत अच्छे लगते हैं। ये बादल मन के बहुत भोले-भाले हैं; सीधे-सादे हैं। वे भेद-भाव नहीं करते।
Mann Ke Bhole Bhale Badal Poem Question Answers
अभ्यास
कविता के आधार पर
(1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
(क) बादल नदी नालों में बाढ़ कैसे लाते होंगे?
उत्तर- जब बादल बहुत अधिक वर्ष लाते हैं, तो नदी-नालों का पानी बहुत बढ़ जाता है और जो लोगों के घरों तथा खेतों में भर जाता है। इस तरह बादल नदी-नालों में बाढ़ लाते हैं ।
(ख) बादल कैसे ढोल बजाते होंगे?
उत्तर- जब बादल आपस मे टकराते हैं तो बादल के गरजने की आवाज आती है। बार-बार टकराने से जो आवाज हम सुनते हैं, उसे सुनकर ऐसा लगता है जैसे बादल ढोल बजा रहे हों।
(ग) बादल कैसी शैतानियाँ करते होंगे?
उत्तर- बादल शैतानियाँ इस तरह करते होंगे—कभी वे तेज आँधी तथा बारिश करते होंगे। कभी अचानक पानी बरसा कर आपस में टकराने से गरजा कर और कभी बाढ़ ला कर ।
(घ) बादल की तुलना किन-किन से की गई है?
उत्तर – बादल की तुलना गुब्बारे, जोकर, हाथी, ऊँट, परी और शेर से की गई है।
(2) कक्षा में बातचीत के लिए:-
(क) तूफान क्या होता है? बादलों को तूफ़ानी क्यों कहा गया है?
उत्तर- बहुत तेज चलने वाली आंधी को तूफान कहते हैं । बादलों का तूफानी इसलिए कहा गया है क्योंकि बादल ही बहुत तेज आंधी लाते हैं ओर बारिश करते हैं।
(ख) साल के किन-किन महीनों में ज़्यादा बादल छाते हैं?
उत्तर – जून और जुलाई में ज्यादा बादल छाते हैं ।
(ग) कविता में ‘काले‘ बादलों की बात की गई है। क्या बादल सचमुच काले होते हैं?
उत्तर- नहीं बादल सचमुच काले नहीं होते, वह हमें काले दिखाई देते हैं। बादल तो पानी से बनी बूँदों से बने होते हैं जो हल्की होने के कारण ऊपर उड़ जाती हैं और वहाँ मिलकर बादल बन जाती हैं।
(घ) कक्षा में बातचीत करो और बताओ कि बादल किन-किन रंगों के होते हैं।
उत्तर- बादल, सफेद और भूरे रंग के होते हैं परन्तु कभी-कभी बादल लाल रंग के भी दिखाई देते हैं।
(3) (क) भिन्न-भिन्न प्रकार के बादलों के चित्र बनाएं।
उत्तर- विद्यार्थी स्वंय करें।
(ख) कविता में बादलों को ‘भोला‘ कहा गया है। इसके अलावा बादलों के लिए और कौन-कौन से शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। नीचे लिखे अधूरे शब्दों को पूरा करो ।
म ……….. ज़ि ………..
शै ……….. तू ………..
उत्तर-
मतवाले जिद्दी
शैतानी तूफानी
बारिश की आवाज़े
कुछ अपने थेलों से चुपके
झर-झर-झर बरसाते पानी
पानी के बरसने की आवाज़ है झर-झर-झर ! पानी बरसने की कुछ और आवाजें लिखों।
उत्तर- 1. टप-टप -टप 2. छम-छम-छम
3. टिप-टिप-टिप 4. धरर-धरर
5. रिमझिम रिमझिम 6. छप-छप-छप
7. चट-चट-चट 8. छर-छर-छर
(4) कैसे-कैसे पेड़ बादलों की तरह पेड़ भी अलग-अलग आकार के होते हैं। कोई बरगद -सा फैला हुआ और कोई नारियल के पेड़ जैसा ऊँचा और सीधा।
अपने आसपास अलग-अलग तरह के पेड़ देखो। तुम्हें उनमें कौन-कौन से आकार दिखाई देते हैं? सब मिलकर पेड़ों पर एक कविता भी तैयार करो।
उत्तर- कोई पेड़ बरगद सा मोटा
कोई पेड़ बांस सा पतला
कोई पेड़ नारियल सा लम्बा
कोई पेड़ नींबू सा छोटा कोई पेड़ पीपल सा विशाल
तो कोई पेड़ आम तथा
नीम सा घना ।
हर पेड़ की अपनी खासियत
हर पेड़ का अपना रूप
पर पेड़ ही देता
हम सब के
जीवन को रूप !
छात्र कविता स्वयं भी तैयार कर सकते हैं।
(5) युग्म शब्द:-
कविता में आए युग्म शब्दों को ढूँढ़कर लिखें ।
जैसे- भोले भाले
(क) ………… (ख) …………
(ग) ………… (घ) …………
(ङ) ………… (च) …………
उत्तर-
(क) झब्बर- झब्बर (ख) झूम-झूम
(ग) रह-रह (घ) झर-झर-झर
(ङ) कभी-कभी (च) नदी-नालों
- श्रुतलेख:-
(क) गुब्बारे (ख) टकराते (ग) मतवाले (ङ) ढोलक
(घ) बरसाते (च) ज़िद्दी (छ) जोकर (ज) कूबड़
- शब्दार्थः-
उत्तर- इसका उत्तर ऊपर दिए गए टेबल से देख लें।
Mann Ke Bhole Bhale Badal Class 4 Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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