कविता “सीखो” JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 4 हिंदी का चौथा पाठ है। यह कविता द्विवेदी युग के हिन्दी साहित्यकार श्रीनाथ सिंह द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Poem Seekho Class 4 Hindi Chapter 4 Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप पाठ ” शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर (Seekho Class 4 Hindi JKBOSE Question Answers) पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Laleshwari Class 4 Hindi Chapter 3 Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Poem Seekho Class 4 Hindi Chapter 4 Question Answers
Seekho Poem Text (सीखो कविता)
फूलों से नित हँसना सीखो,
भौंरों से नित गाना
तरु की झुकी डालियों से नित
सीखो शीश झुकाना ।
सीख हवा के झोंकों से लो
कोमल भाव बहाना
दूध तथा पानी से सीखो
मिलना और मिलाना ।
सूरज की किरणों से सीखो
जगना और जगाना
लता और पेड़ों से सीखो
सब को गले लगाना ।
मछली से सीखो स्वदेश के,
लिए तड़प कर मरना।
पतझड़ के पेड़ों से सीखो
दुःख में धीरज धरना ।
दीपक से सीखो जितना
हो सके अंधेरा हरना
पृथ्वी से सीखो प्राणी की
सच्ची सेवा करना ।
जलधारा से सीखो आगे,
जीवन-पथ में बढ़ना ।
और धुएँ से सीखो हरदम
ऊँचे ही पर चढ़ना ।
Seekho Poem Word Meaning (सीखो कविता शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
नित | सदा। |
तरु | वृक्ष । |
शीश | सिर । |
डालियाँ | शाखाएँ । |
स्वदेश | अपना देश । |
धीरज | हौसला । |
धरना | रखना । |
अंधेरा | अंधकार । |
हरना | दूर करना । |
पृथ्वी | धरती । |
Seekho Poem Explanation (सीखो कविता सरलार्थ)
पद्यांशों का सरलार्थ
(1) फूलों से नित हँसना सीखो,
भौंरों से नित गाना
तरु की झुकी डालियों से नित
सीखो शीश झुकाना ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सीखो’ से ली गई हैं। इसके कवि श्रीनाथ सिंह जी हैं जो इस प्रकृति से मनुष्य को सद्गुणों को सीखने और अपनाने की बात कहते हैं ।
सरलार्थ – कवि यह कहते हैं कि हमें फूलों से सदा हँसते रहना सीखना चाहिए और जिस तरह भंवरे हमेशा गुनगुनाते रहते हैं, हमें भी जीवन में गाते रहने का प्रयास करना चाहिए, अर्थात् हमें हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए। वृक्षों की झुकी हुई डालियाँ हमें सिखाती हैं कि हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए, हमेशा सिर झुकाए दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
(2) सीख हवा के झोंकों से लो
कोमल भाव बहाना
दूध तथा पानी से सीखो
मिलना और मिलाना ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सीखो’ से ली गई हैं। इसके कवि श्रीनाथ सिंह जी हैं जो इस प्रकृति से मनुष्य को सद्गुणों को सीखने और अपनाने की बात कहते हैं ।
सरलार्थ – कवि यह कहते हैं कि हमें हवा के झोंकों से सदा कोमल और मीठा बोलना सीखना चाहिए। जिस तरह हवा का झोंका तन को शीतलता प्रदान करता है, ठीक वैसे ही हमें मीठे शब्दों के द्वारा दूसरों को कोमलता और प्रेम प्रदान करना चाहिए। दूध और पानी हमें सिखाते हैं कि हमें घुल-मिलकर रहना चाहिए, जिस प्रकार दूध में पानी घुलकर एक हो जाता है।
(3) सूरज की किरणों से सीखो
जगना और जगाना
लता और पेड़ों से सीखो
सब को गले लगाना ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सीखो’ से अवतरित हैं । इसके रचनाकार श्रीनाथ सिंह जी हैं जो इस प्रकृति के क्रिया- कलापों से मनुष्य को सीखने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने की बात कहते हैं 1
सरलार्थ – कविवर यह कहते हैं कि सूरज की किरणें हमें नित्य प्रति समय पर जागरूक रहने की शिक्षा देती हैं। वे बताती हैं कि लिपटी हुई लताएँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें सदा सबको गले लगाना चाहिए और हमें सदा सुबह जल्दी उठकर काम करना चाहिए। पेड़ों से लिपटी हुई लताएँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें सदा सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और सभी के साथ मिलजुलकर चलना चाहिए।
(4) मछली से सीखो स्वदेश के,
लिए तड़प कर मरना।
पतझड़ के पेड़ों से सीखो
दुःख में धीरज धरना ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सीखो’ से अवतरित हैं । इसके रचनाकार श्रीनाथ सिंह जी हैं जो इस प्रकृति के क्रिया- कलापों से मनुष्य को सीखने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने की बात कहते हैं।
सरलार्थ – कवि बताते हैं कि मछली हमें सिखाती है कि हमें अपने देश से प्रेम करना चाहिए। जिस तरह मछली अपना देश (जल) छोड़ते ही प्राण दे देती है, उसी प्रकार हमें भी अपने देश के प्रति प्रेम रखना चाहिए और देश के लिए बलिदान देने को भी तैयार रहना चाहिए। पतझड़ में पेड़ हमें सिखाते हैं कि दुःख आने पर हमें सदा धीरज से काम लेना चाहिए।
(5) दीपक से सीखो जितना
हो सके अंधेरा हरना
पृथ्वी से सीखो प्राणी की
सच्ची सेवा करना ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सीखो’ से अवतरित हैं। इसके रचनाकार श्रीनाथ सिंह जी हैं जो इस प्रकृति के क्रिया- कलापों से मनुष्य को सीखने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने की बात कहते हैं ।
सरलार्थ – कवि कहते हैं कि दीपक जलकर प्रकाश फैलाता है और अंधकार को दूर करता है, उसी तरह हमें भी दीपक से शिक्षा लेनी चाहिए। हमें इस संसार से अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाना चाहिए। पृथ्वी से हमें सिखना चाहिए कि हमें लोगों की सच्चे मन से सेवा करनी चाहिए।
(6) जलधारा से सीखो आगे,
जीवन-पथ में बढ़ना ।
और धुएँ से सीखो हरदम
ऊँचे ही पर चढ़ना ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सीखो’ से अवतरित हैं। इसके रचनाकार श्रीनाथ सिंह जी हैं जो इस प्रकृति के क्रिया- कलापों से मनुष्य को सीखने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने की बात कहते हैं ।
सरलार्थ – कवि कहते हैं कि बहती हुई जलधारा से हमें यह सिखना चाहिए कि हमें भी आगे बढ़ना और ऊपर की ओर उठना चाहिए। जैसे ही ऊपर की ओर उठता धुआँ हमें सिखाता है कि जीवन में हमें हमेशा आगे बढ़ना और ऊँचाईयों को छूने का प्रयास करना चाहिए। हमें हमेशा तरक्की करते रहना चाहिए।
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
(1) बताएँ और लिखें-
निम्नलिखित से हमें क्या सीख मिलती है ?
(क) भौंरों से …………………
(ख) तरु की झुकी डालियों से …………………
(ग) हवा के झोंकों से …………………
(घ) दूध और पानी से …………………
(च) सूरज की किरणों से …………………
उत्तर- भौंरों से सदा जीवन में गुनगुनाते रहने, गाते रहने की सीख मिलती है।
तरु की झुकी डालियों से विनम्र होने की सीख मिलती है।
हवा के झोंकों से कोमलता तथा शांति की शिक्षा मिलती है।
दूध और पानी से शिक्षा मिलती है कि प्रेम पूर्ण परस्पर मिल-जुल कर रहो।
सूरज की किरणों से नित्य समय पर जागने की शिक्षा मिलती है।
(2) निम्नलिखित बातें हम किन से सीखते हैं-
(क) सबको गले लगाना
……………………….
(ख) स्वदेश के लिए तड़पकर मरना
……………………….
(ग) दुःख में धीरज रखना
……………………….
(घ) अंधेरा हरना
……………………….
(च) सच्ची सेवा करना
……………………….
उत्तर- (क) सबको गले लगाना हम लता और पेड़ों से सीखते हैं ।
ख) स्वदेश के लिए तड़पकर मरना हमें मछली सिखाती है ।
(ग) दुःख में धीरज रखना हमें पतझड़ में सूखे हुए पेड़ सिखाते हैं ।
(घ) दीपक हमें अँधेरा हरना सिखाता है ।
(च) पृथ्वी हमें सच्ची सेवा करना बताती है ।
(3) ‘क’ भाग को ‘ख’ भाग से मिलाकर सही वाक्य लिखें :—
'ख' | 'क' |
---|---|
1. दूध और पानी से सीखो | मिलना और मिलाना। |
2. सूरज की किरणों से सीखो | आगे जीवन पथ में बढ़ना। |
3. पतझड़ के पेड़ों से सीखो | जगना और जगाना । |
4. पृथ्वी से सीखो | प्राणी की सच्ची सेवा करना। |
5. जलधारा से सीखो | दुःख में धीरज धरना । |
उत्तर- (1) दूध और पानी से सीखो मिलना और मिलाना ।
(2) सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना ।
(3) पतझड़ के पत्तों से सीखो दुःख में धीरज धरना ।
(4) पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना ।
(5) जलधारा से सीखो आगे जीवन पथ में बढ़ना ।
(4) रिक्त स्थानों को सही शब्दों से पूरा करो —
(क) तरु की झुकी ………….से नित सीखो शीश झुकाना । (डाली / डालियों)
(ख) सीख हवा के ………….से लो कोमल भाव बनाना। (झोंकों / झोंका)
(ग) सूरज की ………….से सीखो जगना और जगाना। (किरण / किरणों)
(घ) लता और ………….से सीखो सबको गले लगाना। (पेड़ों / पेड़)
उत्तर- (क) तरु की झुकी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना ।
(ख) सीख हवा के झोंकों से लो कोमल भाव बनाना।
(ग) सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना।
(घ) लता और पेड़ों से सीखो सबको गले लगाना।
(5) नीचे दिए पदबंधों से उपयुक्त वाक्य बनाएँ —
(गले लगाना, धीरज धरना, सच्ची सेवा, जीवन- पथ, ऊँचा चढ़ना)
उत्तर- गले लगाना- बरसों बाद माँ ने बेटे को देखते ही गले लगा लिया।
धीरज धरना – दुःख की घड़ी में धीरज धरना ही अक्लमंदी का काम है।
सच्ची सेवा – ज़रूरतमंद की सेवा करना ही सच्ची सेवा है।
जीवन-पथ – हमे अपने जीवन पथ पर अच्छे कार्य करने चाहियें।
ऊँचा चढ़ना – उसकी अपने काम के प्रति सच्ची लगन उसको जीवन में ऊँचा चढ़ा देगी।
(6) सोचें और लिखें—
(क) पतझड़ में पेड़ों की क्या दशा हो जाती है ?
(ख) पृथ्वी प्राणी की सेवा कैसे करती है ? उत्तर-
(क) पतझड़ के आने पर पेड़ों के पुराने पत्ते सूख कर झड़ जाते हैं। पेड़ खाली-खाली ठूंठ-सा दिखने लगता है तब नई कोंपलें आने लगती हैं।
(ख) पृथ्वी प्राणी की सच्चे अर्थों में बिना किसी लालच के सेवा करती है । इसी धरती की गोद में हर बच्चा चलना, खेलना, दौड़ना सीखता है। धरती उसे अन्न तथा जल प्रदान करती है ।
(7) (क) हँसना — रोना
कोमल — ……….
जगना — ……….
चढ़ना — ……….
स्वदेश — परदेश
दुःख — ……….
अँधेरा — ……….
जीवन — ……….
उत्तर- (क) हँसना — रोना
कोमल — कठोर
जगना — सोना
चढ़ना — उतरना
स्वदेश — परदेश
दुःख — सुख
अंधेरा — उजाला
जीवन — मृत्यु
आवश्यक जानकारी — उपर्युक्त शब्द विलोम शब्द हैं। विपरीत अर्थ रखने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं ।
(ख) मिलना — मिलाना ।
जगना — जगाना।
पढ़ना — पढ़ाना।
चढ़ना — चढ़ाना।
उत्तर – उपर्युक्त सभी शब्द प्रेरणार्थक क्रिया शब्द हैं ।
(8) पढ़ें समझें और लिखें —
जैसे – (क) तरु, चारु, रुचि, अरुण,
(ख) शुरू, रूस, गोरू, रूपक,
उत्तर- उपरोक्त शब्दों में उ (, ) तथा ऊ ( ू ) मात्राओं का प्रयोग हुआ है ।
(9) पढ़ें और समझें-
सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना।
……………………………………………………
उत्तर – विद्यार्थी इनका लेखन अभ्यास करें।
- पढ़े और समझें: –
कोमल — नरम, नाजुक
नित — सदा
तरु — वृक्ष, पेड़
शीश — सिर
स्वदेश — अपना देश
धीरज ― हिम्मत, शांत भाव, मन की स्थिरता
प्राणी ― जीव-जंतु
धारा― पानी आदि की धार
पथ― रास्ता
पृथ्वी― ज़मीन
उत्तर- उपरोक्त सभी शब्द एक दूसरे के शब्दार्थ हैं।
(10) दीपक का चित्र बनाएँ
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं अभ्यास करें।
Poem Seekho Class 4 Hindi Chapter 4 Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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