कविता “ दयानतदारी“ JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक सरस भारती भाग 4 हिंदी का पांचवां पाठ है। यह कविता द्विवेदी युग के हिन्दी साहित्यकार डॉ० बंसी लाल शर्मा द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Dayanatdari Class 4 Hindi Poem Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप कविता ” दयानतदारी ” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े प्रश्न उत्तर (Dayanatdari Class 4 Hindi JKBOSE Question Answers) पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने Seekho Class 4 Hindi JKBOSE Question Answers के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Dayanatdari Class 4 Hindi Poem Question Answers
Dayanatdari Class 4 Hindi Poem Text (दयानतदारी कविता)
एक था बूढ़ा बहुत गरीब,
उससे भी था बहतर नसीब
कर्म में जिस की सच्ची प्रीत,
कर रहा अपना समय व्यतीत ।
लकड़ियाँ जंगल से लाकर,
गट्ठा उस का एक बनाकर ।
जाता बेचने रोज बाज़ार,
जिस से पलता था परिवार ।
एक रोज दरिया पे खड़ा था,
पेड़ लगा वहाँ बहुत बड़ा था ।
पहुँचा वहाँ कुल्हाड़ी पकड़ कर,
बैठ गया फिर ऊपर चढ़ कर ।
काटने की उसने की तैयारी,
टहनी के जब ऊपर मारी ।
दस्ता गया था उस का टूट,
गई हाथ से एकदम छूट ।
गिर कर गई दरिया में डूब,
करूं क्या उसने सोचा खूब ।
आखिर रोने लगा बेचारा,
होगा नहीं अब मेरा गुजारा।
उस के देखकर व्याकुल प्राण,
द्रवित हो गए फिर भगवान ।
ईश्वर ने सब देखा-भाला,
समाधान भी उसका निकाला।
भगवान ने डुबकी एक लगाई,
कुल्हाड़ी सोने की बाहर लाई ।
पूछा बाबा यही है तेरी,
बूढ़े ने कहा नहीं यह मेरी ।
डूबकी उसने और लगाई,
चाँदी की फिर बाहर लाई ।
पूछा पुनः यही है तेरी,
उस ने कहा नहीं यह मेरी ।
5. आखिर दी लोहे की लाकर,
बूढ़ा बोला फिर मुस्काकर ।
यही असली मेरी महाराज,
सफल हुआ अब मेरा काज ।
देख उस की दयानतदारी,
कृपा प्रभु ने की फिर भारी ।
वापस की थीं उसने जितनी,
ईश्वर ने उसको दी उतनी ।
Dayanatdari Class 4 Hindi Poem Word Meaning (दयानतदारी कविता शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
बहतर | बढ़ कर, अधिकतर । |
नसीब | किस्मत, भाग्य । |
प्रीत | प्रेम । |
व्यतीत | बिताना । |
गट्ठा | गट्ठर । |
रोज | प्रतिदिन । |
दरिया | नदी । |
एकदम | अचानक । |
शब्द | अर्थ |
खूब | बहुत। |
आखिर | अंत में। |
व्याकुल | परेशान । |
द्रवित | दया से भरना । |
समाधान | ईलाज, रास्ता ढूंढ़ना । |
डुबकी | गोता। |
पुनः | फिर से। |
आखिर | अंत । |
असली | वास्तविक । |
काज | काम। |
दयानतदारी | ईमानदारी। |
कृपा | दया । |
Dayanatdari Poem Explanation (दयानतदारी कविता सरलार्थ)
पद्यांशों का सरलार्थ
1. एक था बूढ़ा बहुत गरीब,
उससे भी था बहतर नसीब
कर्म में जिस की सच्ची प्रीत,
कर रहा अपना समय व्यतीत ।
लकड़ियाँ जंगल से लाकर,
गट्ठा उस का एक बनाकर ।
जाता बेचने रोज बाज़ार,
जिस से पलता था परिवार ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां ‘दयानतदारी’ नामक कविता से ली गई हैं। यह कविता डॉ० बंसी लाल शर्मा के द्वारा लिखी गई है। इसे हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में स्थान दिया गया है। इन पंक्तियों में एक ग़रीब लकड़हारे का वर्णन किया गया है।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि एक बूढ़ा आदमी था, बहुत ही गरीब। उसकी गरीबी और बुढ़ापे के कारण, उसका भाग्य और भी बुरा था। फिर भी, वह काम करने में बहुत रुचि रखता था। उसे काम करने से असली आनंद मिलता था, और वह हर दिन अपना समय काम करके बिताता था। वह जंगल से लकड़ी लाकर उन्हें गट्ठर बनाता और फिर रोज़ उन्हें बाज़ार में बेचने जाता था। इस तरह, वह अपने परिवार का पेट पालता था।
2. एक रोज दरिया पे खड़ा था,
पेड़ लगा वहाँ बहुत बड़ा था ।
पहुँचा वहाँ कुल्हाड़ी पकड़ कर,
बैठ गया फिर ऊपर चढ़ कर ।
काटने की उसने की तैयारी,
टहनी के जब ऊपर मारी ।
दस्ता गया था उस का टूट,
गई हाथ से एकदम छूट ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘दयानतदारी’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ० बंसी लाल शर्मा हैं। इसमें उन्होंने एक ग़रीब व्यक्ति की पीड़ा और उस की मेहनत का वर्णन किया है।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि वह ग़रीब बूढ़ा एक दिन नदी के किनारे खड़ा था। वहाँ एक बहुत बड़ा पेड़ था। उसने अपनी कुल्हाड़ी पकड़ी और वहाँ चला। उसने पेड़ पर चढ़ा और ऊपर बैठ गया। जैसे ही वह पेड़ को काटने की तैयारी करने लगा, वह कुल्हाड़ी मारने के लिए टहनी पर चला। लेकिन अचानक उसका दस्ता टूट गया। कुल्हाड़ी उसके हाथ से एकदम छूट गई।
3. गिर कर गई दरिया में डूब,
करूं क्या उसने सोचा खूब ।
आखिर रोने लगा बेचारा,
होगा नहीं अब मेरा गुजारा।
उस के देखकर व्याकुल प्राण,
द्रवित हो गए फिर भगवान ।
ईश्वर ने सब देखा-भाला,
समाधान भी उसका निकाला।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘दयानतदारी’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ॰ बंसी लाल शर्मा हैं । कवि ने ग़रीब लकड़हारे के दुःख से परमात्मा को भी दुखी होते हुए दिखाया है।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि लकड़हारे की कुल्हाड़ी नदी में गिर गई और उसमें डूब गई। वह बहुत समय तक सोचता रहा कि अब क्या करें। पर कोई रास्ता नहीं नजर आया। बेचारा रोने लगा, क्योंकि उसका कोई गुज़ारा नहीं होने वाला था। दुखी होकर रोते हुए उसकी हालत को देखकर ईश्वर को भी उस पर दया आ गई। ईश्वर ने ध्यान से उसकी समस्या को समझा और उसका इलाज किया। उन्होंने उसके कष्ट को दूर करने के लिए एक तरीका ढूँढ़ निकाला।
4. भगवान ने डुबकी एक लगाई,
कुल्हाड़ी सोने की बाहर लाई ।
पूछा बाबा यही है तेरी,
बूढ़े ने कहा नहीं यह मेरी ।
डूबकी उसने और लगाई,
चाँदी की फिर बाहर लाई ।
पूछा पुनः यही है तेरी,
उस ने कहा नहीं यह मेरी ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में संकलित कविता ‘दयानतदारी’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ० बंसी लाल शर्मा हैं । बूढ़े ग़रीब की कुल्हाड़ी नदी में गिरी थी। भगवान् ने उसकी सहायता करने का निश्चय किया ।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि भगवान् ने नदी के जल में गोता लगाया और जल के अंदर से सोने की एक कुल्हाड़ी बाहर लेकर आए। उन्होंने बूढ़े से पूछा कि क्या वह कुल्हाड़ी उसकी थी। बूढ़े ने कहा कि नहीं, वह कुल्हाड़ी उसकी नहीं थी। फिर भगवान् ने फिर डुबकी लगाई। इस बार चांदी से बनी हुई कुल्हाड़ी बाहर आई। फिर भगवान् ने उससे पूछा कि क्या वह कुल्हाड़ी उसकी थी। बूढ़े ने फिर से कहा कि वह कुल्हाड़ी भी उसकी नहीं थी।
5. आखिर दी लोहे की लाकर,
बूढ़ा बोला फिर मुस्काकर ।
यही असली मेरी महाराज,
सफल हुआ अब मेरा काज ।
देख उस की दयानतदारी,
कृपा प्रभु ने की फिर भारी ।
वापस की थीं उसने जितनी,
ईश्वर ने उसको दी उतनी ।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में संकलित कविता ‘दयानतदारी’ से ली गई हैं । इस के रचयिता डॉ० बंसी लाल शर्मा हैं। इस में ईमानदारी पर परमात्मा को प्रसन्न होते हुए दिखाया गया है।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि आखिर में, परमात्मा ने नदी के जल से लोहे की कुल्हाड़ी लाई और उसे बूढ़े को दी। बूढ़ा मुस्कुराते हुए बोला, “हां महाराज, यही मेरी असली कुल्हाड़ी है। अब मेरा काम सफल हो गया है।” उसकी ईमानदारी को देखकर परमात्मा ने उस पर बहुत कृपा की। उन्होंने उसे वह सारी कुल्हाड़ियां दे दीं जो उसने उन्हें वापस की थीं।
Dayanatdari Poem JKBOSE Question Answers
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-
(क) ग़रीब बूढ़ा क्या काम करता था?
उत्तर – ग़रीब बूढ़ा जंगल में पेड़ों से लकड़ी काट कर बेचने का काम करता था ।
(ख) बूढ़े की कुल्हाड़ी छूट कर कहाँ जा गिरी थी?
उत्तर – बूढ़े की कुल्हाड़ी छूट कर नदी के जल में जा गिरी थी।
(ग) भगवान् ने पानी में से कितनी कुल्हाड़ियां निकालीं?
उत्तर—भगवान् ने पानी में से तीन कुल्हाड़ियां निकाली थीं।
(घ) इस कविता से आप को क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सदा ईमानदारी से परिश्रम करना चाहिए और कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए ।
नीचे दिए शब्दों से वाक्य बनाइये :-
बूढ़ा, ग़रीब, नसीब, परिवार, कुल्हाड़ी, टहनी, दरिया, भगवान, द्रवित, दयानतदारी ।
उत्तर- (क) बूढ़ा – बूढ़ा आदमी अपनी लाठी के सहारे चल रहा था ।
(ख) गरीब – हमे गरीब लोगन की मदद करनी चाहिए।
(ग) नसीब – सबके नसीब में हर ख़ुशी नहीं होती है।
(घ) परिवार – हम छोटे परिवार में रहते हैं।
(ड.) कुल्हाड़ी – कुल्हाड़ी से हम लकड़ियां काटते हैं।
(च) टहनी – पेड़ की टहनी फलों से झुकी हुई है।
(छ) दरिया – दरिया के किनारे बकरियां चर रही हैं।
(ज) भगवान् – भगवान् की कृपा दृष्टि सब पर बनी रहे।
(झ) द्रवित – भूख से बिलक्ते बच्चों को देख कर मेरा हृदय द्रवित हो गया था।
(ञ) दयानतदारी – दयानतदारी एक अच्छा गुण है।
नीचे दिये शब्दों द्वारा रिक्त स्थान भरिये :-
सोने, दरिया, दयानतदार दयानतदारी, लकड़ियाँ, चाँदी।
(क) बूढ़ा बहुत …………. था।
(ख) बूढ़ा …………. ले जाकर बाज़ार बेचता था।
(ग) एक दिन बूढ़े की कुल्हाड़ी ………….में जा गिरी ।
(घ) भगवान् ने बारी-बारी…………..और……….की दो कुल्हाड़ियां निकालीं।
(ड.) बूढ़े ………….की पर खुश होकर भगवान् ने लोहे की कुल्हाड़ी के साथ दूसरी कुल्हाड़ियां भी उसे दे दीं।
उत्तर- (क) बूढ़ा बहुत दयानतदार था।
(ख) बूढ़ा लकड़ियां ले जाकर बाज़ार बेचता था।
(ग) एक दिन बूढ़े की कुल्हाड़ी दरिया में जा गिरी ।
(घ) भगवान् ने बारी-बारी सोने और चांदी की दो कुल्हाड़ियां निकाली।
(ड.) बूढ़े की दयानतदारी पर खुश होकर भगवान् ने लोहे की कुल्हाड़ी के साथ दूसरी कुल्हाड़ियां भी उसे दे दीं।
नीचे दिए उदाहरणों को देख कर शब्द बनाओ :-
जैसे :- बूढ़ा-बूढ़े
लकड़ी, ………….
पालता, ………….
कुल्हाड़ी, ………….
टहनी, ………….
गट्ठा ………….
उत्तर-
लकड़ी — लकड़ियां
पालता — पालते
कुल्हाड़ी — कुल्हाड़ियां
टहनी — टहनियां
गट्ठा — गट्ठे
Dayanatdari Class 4 Hindi Poem Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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