कविता ” पढ़क्कू की सूझ” JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 4 हिंदी (Bhasha Prwah Class 4th Hindi) का तेरहवां (Chapter 13) पाठ है। यह कविता हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Padakku Ki Sujh JKBOSE Class 4 Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप पाठ ” पढ़क्कू की सूझ ” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े प्रश्न उत्तर (Padakku Ki Sujh JKBOSE Class 4 Hindi Chapter 13 Question Answers) पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने (Swatantrata Ki Aur JKBOSE Class 4 Hindi Chapter 12 Question Answers) के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Padakku Ki Sujh JKBOSE Class 4 Question Answers
Padakku Ki Sujh Poem Text (पढ़क्कू की सूझ कविता)
एक पढ़क्कू बड़े तेज़ थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,
जहां न कोई बात, वहां भी नई बात गढ़ते थे।
एक रोज वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ पाए,
“बैल घूमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए?”
कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बड़ा गज़ब है?
सिखा बैल को रक्खा इसने, निश्चय कोई ढब है।
आखिर एक रोज़ मालिक से पूछा उसने ऐसे
“अजी बिना देखें, लेते तुम जान भेद यह कैसे?
कोल्हू का यह बैल तुम्हारा चलता या अड़ता है?
रहता है घूमता, खड़ा हो पागुर करता है?”
मालिक ने यह कहा, ” अजी इसमें क्या बात पड़ी है?
नहीं देखते क्या, गर्दन में घंटी एक पड़ी है।
“जब तक यह बजती रहती है, मैं न फिक्र करता हूँ
हाँ, जब बजती नहीं, दौड़ कर तनिक पूँछ धरता हूँ।”
कहा पढ़क्कू ने सुनकर, तुम रहे सदा के कोरे !
बेवकूफ मंतिख की बातें समझ सकोगे थोड़े।
अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए,
चले नहीं बस, खड़ा-खड़ा गर्दन को खूब हिलाए।
घंटी टुन टुन खूब बजेगी। तुम न पास आओगे,
मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?
मालिक थोड़ा हँसा और बोला पढ़क्कू जाओ,
सीखा है यह ज्ञान जहाँ पर, वहीं इसे फैलाओ।
यहाँ सभी कुछ ठीक-ठाक है, यह केवल माया है,
बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।
Padakku Ki Sujh Poem Shabd Arth (पढ़क्कू की सूझ कविता शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
तर्कशास्त्र | मंतिख। |
गढ़ना | तैयार करना। |
ढब | तरीका। |
भेद | राज़। |
पागुर | जुगाली। |
फिक्र | चिंता। |
तनिक | थोड़ा। |
धरता | पकड़ता (कविता के आधार पर)। |
कोरे | जिसे पूरी समझ न हो, नासमझ। |
अड़ जाना | जिद्द करना, हठ करना। |
सांझ | शाम, संध्या। |
मंतिख | तर्क या विवचना करने के नियम, तर्कशास्त्र। |
Padakku Ki Sujh Poem Saral Arth (पढ़क्कू की सूझ कविता सरलार्थ)
पद्यांशों का सरलार्थ-
1. एक पढ़क्कू बड़े तेज़ थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,
जहां न कोई बात, वहां भी नई बात गढ़ते थे।
एक रोज वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ पाए,
“बैल घूमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए?”
कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बड़ा गज़ब है?
सिखा बैल को रक्खा इसने, निश्चय कोई ढब है।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ के पाठ पढ़क्कू की सूझ से ली गई हैं जिस के रचयिता रामधारी सिंह दिनकर हैं । कवि ने किसी अधिक पढ़ने वाले व्यक्ति की सोच और चिंता का वर्णन किया है।
सरलार्थ – कवि कहते हैं कि एक पढ़ाकू बहुत चतुर थे। वह तर्क शास्त्र का अध्ययन करते थे। यहां तक कि जहां सोचने या कहने को कुछ नहीं होता था, वहां भी वे सोचते थे और नई-नई चीजों का आविष्कार करते थे। एक दिन वह बहुत चिंतित हुआ क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि बैल बिना चलाये कोल्हू में कैसे घूमता रहता है। वे कई दिनों तक इसके बारे में सोचते रहे कि इसका मालिक बहुत अद्भुत है। उसने बैल को कुछ तरकीबें जरूर सिखाई हैं। जिससे यह गोल-गोल घूमता रहता है।
2. आखिर एक रोज़ मालिक से पूछा उसने ऐसे
“अजी बिना देखें, लेते तुम जान भेद यह कैसे?
कोल्हू का यह बैल तुम्हारा चलता या अड़ता है?
रहता है घूमता, खड़ा हो पागुर करता है?”
मालिक ने यह कहा, ” अजी इसमें क्या बात पड़ी है?
नहीं देखते क्या, गर्दन में घंटी एक पड़ी है।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ में दी गई कविता ‘पढ़क्कू की सूझ’ से ली गई हैं । इस कविता को श्री रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है । कवि ने एक पढ़ाकू तर्क – शास्त्री की चिंता को प्रकट किया है जो कोल्हू के बैल से संबंधित है।
सरलार्थ – कवि कहते हैं कि अंततः पढ़ाकू ने कोल्हू के बैल के मालिक से पूछा कि बिना देखे तुम्हें कैसे पता चलेगा कि तुम्हारा बैल चल रहा है या फंस गया है। वह इधर-उधर घूमता रहता है या खड़े-खड़े जुगाली करता रहता है। मालिक ने कहा इसमें कौन सी बड़ी बात है? क्या तुम्हें इसके गले में घंटी नहीं दिख रही?
3. “जब तक यह बजती रहती है, मैं न फिक्र करता हूँ
हाँ, जब बजती नहीं, दौड़ कर तनिक पूँछ धरता हूँ।”
कहा पढ़क्कू ने सुनकर, तुम रहे सदा के कोरे !
बेवकूफ मंतिख की बातें समझ सकोगे थोड़े।
अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए,
चले नहीं बस, खड़ा-खड़ा गर्दन को खूब हिलाए।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ के पाठ ‘पढ़क्कू की सूझ’ से ली गई हैं। इस के रचनाकार कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं । कवि ने किसी तर्कशील पढ़ाकू के मन में उठे प्रश्न को कोल्हू के स्वामी से पूछा है।
सरलार्थ – पढ़ाकू का प्रश्न सुनकर कोल्हू के मालिक ने कहा कि जब तक बैल के गले में बंधी घंटी बजती रहती है, तब तक मुझे कोई चिंता नहीं होती। हां, जब घंटी की आवाज नहीं आती, घंटी नहीं बजती तो मैं दौड़कर उसका पीछा करता हूं। मुझे इसे थोड़ा मोड़ने दो। यह सुनकर विद्वान ने स्वामी से कहा कि आप सदैव बुद्धि से हीन रहे हैं। आप सोच भी नहीं रहे हैं. तुम मूर्ख कभी भी गहरे विचारों और बुद्धिमान शब्दों को नहीं समझ सकते। अगर किसी दिन आपका बैल सोच-सोचकर अड़ियल हो जाए तो अपनी जगह पर खड़ा हो जाएगा। यदि वह हिले नहीं और अपनी जगह पर खड़ा रहकर खूब सिर हिलाए तो आप क्या करेंगे? तुम्हें कैसे पता कि वह घूम रहा है?
4. घंटी टुन टुन खूब बजेगी। तुम न पास आओगे,
मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?
मालिक थोड़ा हँसा और बोला पढ़क्कू जाओ,
सीखा है यह ज्ञान जहाँ पर, वहीं इसे फैलाओ।
यहाँ सभी कुछ ठीक-ठाक है, यह केवल माया है,
बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।
प्रसंग – प्रस्तुत पक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘पढ़क्कू की सूझ’ से ली गई हैं। इस के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं। कवि ने किसी तर्कशील पढ़ाकू के मन में उठे प्रश्न को कोल्हू के स्वामी से पूछा है।
सरलार्थ – कोल्हू के बैल के स्वामी से पढ़क्कू कहता है कि यदि बैल अपने स्थान पर खड़ा रह कर अपनी गर्दन को हिलाता रहे तो इस के गले में लटकी घंटी टुनटुन की आवाज़ करती खूब बजेगी और तुम्हें पता भी नहीं लगेगा कि वह घूम नहीं रहा । तुम उस के पास भी नहीं आओगे। तुम्हें शाम हो जाने तक भी क्या तेल की एक भी बूंद प्राप्त हो सकेगी ? मालिक इस बात को सुन कर हँसा और बोला कि पढ़क्कू तुम जाओ । जहाँ से तुम ने इस ज्ञान को सीखा है इसे कहीं जा कर फैलाओ। यहाँ सब कुछ ठीक-ठाक है। यह तो केवल माया है जिसे तुम नहीं समझ सकोगे। हमारा बैल अभी तक तुम्हारी तरह तर्क शास्त्र नहीं पढ़ पाया है, वह तो सीधा-सादा प्राणी है।
Padakku Ki Sujh Poem Question Answers
अभ्यास
(1) ‘पढ़क्कू
(क) पढ़क्कू का नाम पढ़क्कू क्यों पड़ा होगा?
उत्तर- पढ़क्कू दिन-रात पढ़ता रहता होगा, इसलिए उनका नाम पढ़क्कू पड़ा होगा।
(ख) तुम कौन-सा काम खूब मन से करना चाहते हो? उसके आधार पर अपने लिए भी पढ़क्कू जेसा कोई शब्द सोचो।
उत्तर- मैं खूब मन लगाकर पढ़ना चाहती हूँ। ताकि सभी मेरे नाम के पहले डॉ. लगाएँ, सभी मुझे भविश्य का डॉक्टर कहे, मुझे यह सुनना अच्छा लगेगा।
(2) कविता में कहानी
‘पढ़क्कू की सूझ‘ कविता में एक कहानी कही गई है। इस कहानी को तुम अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर – एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति, जिसे हम पढ़क्कू कह सकते हैं, तर्कशास्त्र के विद्वान था। उसे हर समय सोचने और विचारने की आदत थी। वहां जहाँ भी कोई नई बात नहीं होती, वह वहां भी कुछ न कुछ नया धुंध लेता था।
एक बार उसने कोल्हू के चारों ओर घूमते बैल को देखा। उसका मालिक वहाँ नहीं था, लेकिन फिर भी बैल गोल-गोल घूमता हुआ तेल निकालने में लगा हुआ था। पढ़क्कू ने उसे ऐसा करते हुए देखा और फिर कोल्हू के स्वामी से पूछा कि यह बैल बिना चलाए कैसे स्वयं चलता है।
स्वामी ने बताया कि बैल की गर्दन में एक घंटी बंधी होती है। जब यह घूमता है, तो घंटी की आवाज़ सुनाई देती है। अगर यह घूमना बंद कर देता है, तो घंटी की आवाज़ सुनाई देना बंद हो जाता है। इस पर पढ़क्कू ने कहा कि बैल तो सदा से ही मूर्ख है। यदि यह कभी अपनी जगह पर खड़ा हो जाए और घूमना बंद कर दे, तो घंटी की आवाज़ तो आएगी, पर काम तो नहीं होगा।
स्वामी ने कहा कि बैल के साथ उसका ज्ञान नहीं है, जो पढ़क्कू के पास है। उसका बैल उसकी तरह तर्कशास्त्री नहीं है, जो सोच सके। इस संदर्भ में यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद, उसे सही जगह पर उपयोग करना भी जरूरी है।
(3) कवि की कविताएँ
अपने साथियों के साथ मिलकर एक-एक कविता ढूँढ़ो। कविताएँ इकट्ठा करके कविता की एक किताब बनाओ।
उत्तर- अपने अध्यापक / अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।
(4) मेहनत के मुहावरे
कोल्हू का बैल ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जो कड़ी मेहनत करता है या जिससे कड़ी मेहनत करवाई जाती है।
मेहनत और कोशिश से जुड़े कुछ और मुहावरे नीचे लिखे हैं। इनका वाक्यों में इस्तेमाल करो।
दिन-रात एक करना
वाक्य – मज़दूरों ने तालाब को मिट्टी से भरने में दिन-रात एक कर दिया था।
पसीना बहाना
वाक्य – सफलता प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को पसीना बहाना पड़ता है।
एड़ी-चोटी का जोर लगाना
वाक्य – ट्रक को खाई से बाहर निकालने के लिए हम सब ने एड़ी चोटी का जोर लगाया पर हमें सफलता नहीं मिली।
(5) अपना तरीका
हाँ जब बजती नहीं, दौड़कर तनिक पूँछ धरता हूँ
(6) पूँछ धरता हूँ का मतलब है पूँछ पकड़ लेता हूँ।
नीचे लिखे वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो।
(क) मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?
उत्तर – लेकिन शाम होने तक तुम्हें बूंद भर तेल की भला क्या मिल पाएगी।
ख) बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।
उत्तर- हमारा बैल अब तक ज्ञान और तर्क शास्त्र नहीं पढ़ पाया है।
(ग) सिखा बैल को रखा इसने निश्चय कोई ढब है।
उत्तर- निश्चित रूप से इसने बैल को कोई तरीका सिखा रखा है।
(घ) जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।
उत्तर – जहाँ कोई भी बात न हो वहाँ भी ये कोई नई बात गढ़ लेते थे।
(7) गढ़ना
पढ़क्कू नई-नई बातें गढ़ते थे।
बताओ, ये लोग क्या गढ़ते हैं ?
सुनार – …….. कवि – ……..
लुहार – …….. कुम्हार – ……..
ठठेरा – …….. लेखक – ……..
उत्तर – सुनार – गहने
कवि – कविताएं
लुहार – लोहे का सामान
कुम्हार – मिट्टी के बर्तन
ठठेरा – धातु के बर्तन
लेखक – लेख
(8) अर्थ खोजो
नीचे दिए गए शब्दों के अर्थ अक्षरजाल में खोजो –
ढब, भेद, गज़ब, मंतिख, छल |
त | र्क | शा | स्त्र | म्र |
रा | ज | त | क | ब |
जू | स | री | मा | धो |
रा | ज़ | का | ल | खा |
धो | क | म | ल | ड़ |
उत्तर- ढब = तरीका
भेद = राज़
गज़ब = कमाल
मंतिख = तर्कशास्त्र
छल = धोखा।
(9) शब्दार्थः-
उत्तर- इसका उत्तर ऊपर दिए गए टेबल से देख लें।
Padakku Ki Sujh JKBOSE Class 4 Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
Leave a Reply