कविता ” सुमन एक उपवन के” JKBOSE के कक्षा 4 (Class 4th of JKBOSE) के छात्रों की पाठ्य-पुस्तक सरस भारती भाग 4 हिंदी का पहला अध्याय है। यह कविता ‘बच्चों के गांधी’ कहलाए जाने वाले हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Suman Ek Upvan Ke Class 4 Hindi Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप कविता ” सुमन एक उपवन के” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर (Suman Ek Upvan Ke Class 4 JKBOSE Question Answers) पढ़ेंगे। आप JKBOSE Class 4th Hindi सरस भारती भाग 4 के अन्य पाठों के प्रशनोत्तर पाने के लिए यहाँ क्लिक करें। आइए शुरू करें:
Suman Ek Upvan Ke Class 4 Hindi Question Answers
Suman Ek Upvan Ke (सुमन एक उपवन के कविता) Poem Text
हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जनमें हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम
पले हुए हैं झूल- झूलकर
पलनों में हम एक पवन के।
सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उर की कली खिलातीं
एक हमारा चाँद, चाँदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एक से स्वर हमको हैं
भ्रमरों के मीठे गुँजन के।
रंग-रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी – क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
है उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली, हम सब
रहते नीचे एक गगन के।
काँटों में खिलकर हम सबने
हँस-हँस कर है जीना सीखा
एक सूत्र में बँधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगंध हमारी
हम श्रृंगार धनी – निर्धन के।
Suman Ek Upvan Ke Word Meaning (सुमन एक उपवन के शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
सुमन | फूल |
पलना | झूला |
उर | हृदय |
स्वर | अवाज़ |
भ्रमर | भँवरा |
गुंजन | भौरों के गूँजने की क्रिया |
गगन | आकाश |
सूत्र | रेशा |
सुगंध | ख़ुशबू |
श्रृंगार | खुद को तैयार करने और श्रंगार आदि करने का काम |
Suman Ek Upvan Ke Poem Explanation (सुमन एक उपवन के सरलार्थ)
पद्यांशों का सरलार्थ
(1) हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जनमें हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम
पले हुए हैं झूल- झूलकर
पलनों में हम एक पवन के।
प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती भाग 4 ‘ की कविता ‘सुमन एक उपवन के’ में से ली गई हैं। इसके रचयिता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। इसमें इन्होंने राष्ट्रीय एकता की भावना को जागृत किया है-
सरलार्थ — इन पंक्तियों में कवि कहता है कि हम सभी एक ही बगीचे के फूल हैं, यानि हम सब एक ही माँ के बच्चे हैं। जिस मिट्टी में हमने जन्म लिया है, वही धरती माँ हम सभी की है। हम सबको सूर्य की एक-सी ही धूप मिलती है और हमें एक ही जल से सींचा गया है। हम सब एक ही हवा के झूले में झूल-झूलकर हम पले हैं। हम सभी एक ही बगीचे के फूल हैं।
(2) सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उर की कली खिलातीं
एक हमारा चाँद, चाँदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एक से स्वर हमको हैं
भ्रमरों के मीठे गुँजन के।
प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती भाग 4’ की कविता ‘सुमन एक उपवन के’ में से ली गई हैं। इसके रचयिता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। इसमें इन्होंने राष्ट्रीय एकता की भावना को जागृत किया है।
सरलार्थ — इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हम सभी को रोशनी और प्रकाश देने वाला सूर्य भी एक ही है, जिसकी किरणें हमारे हृदय की कली को खिला देती हैं। हमारा चाँद भी एक ही है, जिसकी चाँदनी हम सभी को नहलाती है, यानी हम सब पर चाँद अपनी चाँदनी एक समान रूप से बिखराता है। भंवरों की मीठी गुँजार ने हम सभी में एक-सा प्यार का स्वर भर दिया है।
(3) रंग-रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी – क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
है उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली, हम सब
रहते नीचे एक गगन के।
प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सुमन एक उपवन के’ में से ली गई हैं। इसके रचयिता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। इसमें इन्होंने राष्ट्रीय एकता की भावना को जागृत किया है-
सरलार्थ — इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हम अलग-अलग रंगों के होने के बावजूद, हमारी क्यारी भी अलग-अलग है। यानी हम विभिन्न राज्यों, प्रांतों और जातियों से संबंध रखते हुए भी, हम सभी एक ही भारत माता की संतान हैं। हम सभी मिलकर ही इस उपवन रूपी देश की सुंदरता बढ़ाते हैं। हम सभी का मालिक (भगवान) भी एक ही है। हम सभी प्रेमपूर्वक एक ही आकाश के नीचे रहते हैं।
(4) काँटों में खिलकर हम सबने
हँस-हँस कर है जीना सीखा
एक सूत्र में बँधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगंध हमारी
हम श्रृंगार धनी – निर्धन के।
प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सरस भारती’ की कविता ‘सुमन एक उपवन के’ में से ली गई हैं। इसके रचयिता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। इसमें इन्होंने राष्ट्रीय एकता की भावना को जागृत किया है-
सरलार्थ — इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमने काँटों में, यानी मुश्किलों में भी हँसते हुए जीना सीखा है। अर्थात् चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, हम सबने उनसे हँसते हुए मुकाबला करना सीखा है। हम सभी अलग-अलग होते हुए भी प्रेम के एक सूत्र में बँधे हुए मिलकर रहते हैं। हमारी सुगंध, यानी हमारे सत्कर्म, सबके लिए है। हम सभी धनी और निर्धनों के लिए एक समान ही श्रृंगार हैं। हमारी दृष्टि में सब धनवान और निर्धन समान हैं, कहीं कोई भेदभाव नहीं है।
Suman Ek Upvan Ke JKBOSE Question Answers (सुमन एक उपवन के प्रशनोत्तर)
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
(1) बताएँ और लिखें-
(क) हम जिसकी मिट्टी में जनमें हैं, वह कौन है ?
उत्तर- हम जिसकी मिट्टी में जनमें हैं वह हमारा देश भारत है।
ख) हम किस पलने में झूलकर पले हैं?
उत्तर- हम पवन के पलने में झूलकर पले हैं।
(ग) हमें एक जैसे स्वर किससे मिलते हैं?
उत्तर- हमें एक जैसे स्वर भंवरे से मिले हैं।
(घ) ‘हमारा माली‘ का क्या अर्थ है?
उत्तर- ‘हमारा माली’ से अभिप्राय है हमारी ‘रक्षा करने वाला’ अर्थात् भगवान्।
(च) ‘एक सूत्र में बँध कर‘ हम क्या बनते हैं ?
उत्तर – एक सूत्र में बँध कर हम गले का हार (माला) बनते हैं।
(छ) हम अपनी सुगंध किसे देते हैं ?
उत्तर- हमारी सुगंध धनी-निर्धन सभी के लिए एक समान है।
(2) वाक्य पूरे करें-
क) रंग-रंग के रूप हमारे
………………………….
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
………………………….
उत्तर- (क) रंग-रंग के रूप हमारे,
अलग-अलग है क्यारी – क्यारी,
लेकिन हम सबसे मिलकर ही,
है उपवन की शोभा सारी।
ख) सूरज……………..
किरणें उर की……………..
एक हमारा चाँद, चाँदनी
जिसकी……………..
उत्तर- सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उर की कली खिलातीं
एक हमारा चाँद, चाँदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
(ग) सबसे लिए सुगंध हमारी
………………………….
उत्तर- सबके लिए सुगंध हमारी
हम श्रृंगार धनी – निर्धन के ।
(3) निम्नलिखित पंक्तियों का क्रम बदल कर लिखें-
(क) है मिली एक ही धूप हमें ।
उत्तर – एक ही मिली है धूप हमें ।
(ख) मिले एक से स्वर हमको हैं ।
उत्तर – स्वर हमको हैं मिले एक से।
(ग) सींचे गए एक जल से हम ।
उत्तर – एक जल से गए हम सींचे ।
(4) पढ़े, समझें और लिखें-
हम – हमने – हमको – हमें – हम से – हमारा – हमारे – हमारी – हम पर ।
उत्तर – ज्ञान विशेष – उपरोक्त में ‘हम’ शब्द के विभिन्न कारक रूपों को दर्शाया गया है।
(5) कविता में से तीन ऐसे शब्द चुनकर लिखें, जिनमें योजक चिह्न ( – ) लगा हो ।
उत्तर- झूल- झूलकर ।
क्यारी – क्यारी ।
अलग-अलग ।
(6) पढ़ें और लिखें-
हमें एक सूत्र में बंधकर गले का हार बनना चाहिए।
…………………………
…………………………
उत्तर – विद्यार्थी इस वाक्य का लेखन अभ्यास करें ।
(7) इस कविता को कंठस्थ करके कक्षा में गाकर सुनाएँ ।
उद्देश्य :- कविता की लय और ध्वनि से परिचित करवाना ।
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न को स्वयं करें ।
(8) रंग-बिरंगे फूलों के चित्र इकट्ठे करके एलबम में लगाएँ ।
उद्देश्य :- योग्यता- विस्तार
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न को स्वयं करें ।
(9) पढ़ें और समझे: –
सुमन — फूल
गगन — आकाश
उपवन — बाग
भ्रमर — भौंरा
गुंजन — भौंरों की आवाज़
Suman Ek Upvan Ke Class 4 Hindi Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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