कविता ” मेरे प्यारे शिष्य” JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक भाषा प्रवाह भाग 4 हिंदी (Bhasha Prwah Class 4th Hindi) का पंद्रहवां (Chapter 15) कविता है। यह कविता हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार अजय कुमार सिंह द्वारा लिखित है। यह पोस्ट Mere Pyare Shishye JKBOSE Class 4 Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप कविता “मेरे प्यारे शिष्य” के शब्दार्थ, सरलार्थ और उससे जुड़े प्रश्न उत्तर (Mere Pyare Shishye JKBOSE Class 4 Question Answers) पढ़ेंगे। पिछली पोस्ट में, आपने (Bujo To Jano JKBOSE Class 4 Question Answers) के बारे में पढ़ा। आइए शुरू करें:
Mere Pyare Shishye JKBOSE Class 4 Question Answers
Mere Pyare Shishye Class 4 Poem Text (मेरे प्यारे शिष्य कविता)
शिक्षा की लौ तुम में जलती रहे,
हर पल कुछ नया करने की ललक तुम में पलती रहे।
ज्ञान की साधना हर पल चलती रहे,
माता – पिता एवं परमेश्वर की आराधना चलती रहे।
तुम्हारे नेतृत्व में धरा की कठिनाईयाँ मिटती रहें,
तुम्हारे तेज से दुनिया चमकती रहे।
तुम्हारे हाथों निःस्वार्थ सेवा चलती रहे,
तुम्हारे जीवन की हर बूँद परमार्थ में लगती रहे।
जहाँ भी तुम जाओगे हर पल मुझे साथ पाओगे,
मेरे स्नेह के आशीष से कड़ी धूप में भी छाँव पाओगे,
जीवन में शील समाधि और प्रज्ञा का प्रवाह पाओगे।
आशा है, जग में जहाँ भी जाऊँगा तुम्हारी प्रसिद्धि की चर्चा पाउँगा,
तुम्हारे अस्तित्व में अपने अस्तित्व की लौ को जलता हुआ पाउँगा ।
Mere Pyare Shishye Class 4 Word Meaning (मेरे प्यारे शिष्य शब्दार्थ)
शब्द | अर्थ |
---|---|
लौ | प्रकाश। |
ललक | इच्छा। |
साधना | तपस्या। |
अराधना | पूजा। |
कठिनाईयाँ | मुश्किलें। |
धरा | धरती। |
निःस्वार्थ | बिना स्वार्थ के। |
परमार्थ | परोपकार, भलाई। |
स्नेह | प्रेम। |
आशीष | आशीर्वाद। |
प्रज्ञा | बुद्धि, ज्ञान। |
शील | सदाचरण। |
प्रसिद्धि | मशहूरी। |
अस्तित्व | वजूद। |
Mere Pyare Shishye Poem Saral Arth (मेरे प्यारे शिष्य कविता सरलार्थ)
शिक्षा की लौ तुम में जलती रहे,
हर पल कुछ नया करने की ललक तुम में पलती रहे।
प्रसंग:
इस पंक्ति में कवि ने शिक्षा को जीवन का आधार बताया है। वह चाहते हैं कि शिक्षा रूपी प्रकाश हमेशा जीवन में बना रहे और नई उपलब्धियों को हासिल करने की प्रेरणा देती रहे।
व्याख्या:
कवि यह संदेश दे रहे हैं कि व्यक्ति को हमेशा शिक्षा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि नई ऊँचाइयों को छूने की प्रेरणा का स्रोत भी है। यह पंक्ति इस बात पर जोर देती है कि जीवन में निरंतर कुछ नया सीखने और करने की इच्छा बनी रहनी चाहिए।
ज्ञान की साधना हर पल चलती रहे,
माता – पिता एवं परमेश्वर की आराधना चलती रहे।
प्रसंग:
यहाँ कवि ज्ञान और भक्ति को जीवन की धुरी मानते हैं। माता-पिता और ईश्वर की आराधना को सर्वोच्च बताते हुए उन्होंने ज्ञान की साधना पर बल दिया है।
व्याख्या:
कवि कहते हैं कि ज्ञान और भक्ति दोनों का संगम ही सच्चा जीवन है। माता-पिता के प्रति कृतज्ञता और ईश्वर के प्रति आस्था का भाव बनाए रखना आवश्यक है। यह भाव व्यक्ति को संस्कारवान और मजबूत बनाता है।
तुम्हारे नेतृत्व में धरा की कठिनाइयाँ मिटती रहें,
तुम्हारे तेज से दुनिया चमकती रहे।
प्रसंग:
इस पंक्ति में कवि ने व्यक्ति के नेतृत्व क्षमता और उसकी सकारात्मकता का वर्णन किया है।
व्याख्या:
कवि व्यक्ति को प्रेरित करते हैं कि वह ऐसा नेतृत्व करे जिससे धरती की समस्याएँ दूर हों। उसकी कर्मठता और ऊर्जा इतनी प्रभावशाली हो कि पूरी दुनिया उससे प्रेरणा ले। यह पंक्ति व्यक्ति को दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा देती है।
तुम्हारे हाथों निःस्वार्थ सेवा चलती रहे,
तुम्हारे जीवन की हर बूँद परमार्थ में लगती रहे।
प्रसंग:
यहाँ कवि ने निःस्वार्थ सेवा और परोपकार को जीवन का आदर्श बताया है।
व्याख्या:
कवि व्यक्ति को प्रेरित करते हैं कि वह अपने जीवन को परमार्थ और सेवा के लिए समर्पित करे। इस निःस्वार्थ सेवा के माध्यम से व्यक्ति समाज और मानवता की भलाई कर सकता है।
जहाँ भी तुम जाओगे हर पल मुझे साथ पाओगे,
मेरे स्नेह के आशीष से कड़ी धूप में भी छाँव पाओगे,
जीवन में शील समाधि और प्रज्ञा का प्रवाह पाओगे।
प्रसंग:
इस पंक्ति में कवि ने अपने स्नेह और आशीर्वाद का महत्व बताते हुए उसे मार्गदर्शक शक्ति के रूप में व्यक्त किया है।
व्याख्या:
कवि अपने स्नेह और आशीर्वाद को हर परिस्थिति में व्यक्ति का संबल बताते हैं। यह आशीर्वाद कठिन समय में छाँव की तरह शीतलता देगा और जीवन में संयम, धैर्य, और विवेक का संचार करेगा।
आशा है, जग में जहाँ भी जाऊँगा तुम्हारी प्रसिद्धि की चर्चा पाउँगा,
तुम्हारे अस्तित्व में अपने अस्तित्व की लौ को जलता हुआ पाउँगा।
प्रसंग:
इस पंक्ति में कवि ने व्यक्ति की सफलता और प्रसिद्धि पर गर्व की भावना प्रकट की है।
व्याख्या:
कवि को विश्वास है कि व्यक्ति जहाँ भी जाएगा, अपनी उपलब्धियों से उन्हें गौरवान्वित करेगा। कवि का अस्तित्व उस व्यक्ति की सफलता में विलीन हो जाएगा, जैसे दीपक की लौ दीये के साथ जुड़ी होती है। यह पंक्ति गर्व और आत्मीयता का प्रतीक है।
Mere Pyare Shishye Class 4 Poem Summary (मेरे प्यारे शिष्य कविता का सार)
कवि अपने शिष्य को प्रेरणा देते हुए कहता है कि, “बच्चों, तुम हमेशा पढ़ाई में लगे रहो और हर पल तुम्हारे अंदर कुछ नया करने की इच्छा प्रबल रहे। अपने माता-पिता की सेवा और आराधना करते हुए ज्ञान की साधना में निरंतर अग्रसर रहो।”
कवि यह भी कहता है कि, “तुम्हारे नेतृत्व में इस धरती की सारी कठिनाइयाँ समाप्त होती रहें और तुम्हारे तेज से पूरी दुनिया आलोकित हो। तुम्हारे हाथों से निःस्वार्थ सेवा होती रहे और तुम्हारे जीवन का हर क्षण भलाई और परोपकार में समर्पित रहे।”
कवि का विश्वास है कि, “जहाँ-जहाँ तुम जाओगे, वहाँ-वहाँ मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ होगा। मेरे स्नेह और आशीर्वाद से तुम्हें कड़ी धूप में भी ठंडी छाया मिलेगी, और जीवन में शांति, स्थिरता एवं आनंद का अनुभव होगा।”
अंत में कवि आशा व्यक्त करता है कि, “जहाँ भी मैं जाऊँगा, वहाँ तुम्हारे अच्छे कार्यों और प्रसिद्धि की चर्चा सुनने को मिलेगी। तुम्हारे अस्तित्व में मैं अपने अस्तित्व का प्रतिबिंब देखूँगा और गौरवान्वित महसूस करूँगा।”
अभ्यास
(1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
(क) ‘मेरे प्यारे शिष्य‘ कविता में कवि क्या कामना कर रहा है?
उत्तर- इस कविता में कवि यह कामना कर रहा है कि बच्चों में पढ़ने की लौ हमेशा जलती रहे, हमेशा कुछ न कुछ नया करने के ललक पलती रहे। तभी मैं जग में जहाँ भी जाऊँगा प्रसिद्धि की चर्चा पाऊँगा ।
(ख) कविता में किनकी अराधना करने की बात कही गई है?
उत्तर – कविता में माता-पिता एवं परमेश्वर की आराधना करने की बात कही है।
(ग) “मेरे स्नेह के आशीष से कड़ी धूप में भी छाँव पाओगे” पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट करें?
उत्तर- कवि कहता है कि जहाँ भी आप जाओगे, वहीं मेरे प्यार के आशीर्वाद की वजह से धूप में भी छाया महसूस करोगे ।
(घ) कवि प्रत्येक स्थान पर किसकी चर्चा सुनना चाहता है। और क्यों?
उत्तर- कवि प्रत्येक स्थान पर अपने शिष्य की प्रसिद्धि की चर्चा सुनना चाहता है क्योंकि कवि को लगता है कि उसका अस्तित्व उसके शिष्य अपना अस्तित्व बनाकर जीवित सकते हैं।
(2) निम्नलिखित पंक्तियों को पूरा करें:-
(क) शिक्षा की लो तुम में जलती रहे।
उत्तर- हर पल कुछ नया करने की ललक तुम में पलती रहे।
(ख) तुम्हारे नेतृत्व में धरा की कठिनाईयाँ मिटती रहें।
उत्तर- तुम्हारे तेज़ से दुनिया चकमती रहे।
(ग) जहाँ भी तुम जाओगे हर पल मुझे साथ पाओगे।
उत्तर- मेरे स्नेह के आशीष से कड़ी धूप में भी छाँव पाओगे।
(3) पढ़े, समझें और लिखें:-
माता-पिता — माता और पिता
सुख-दुख — सुख और दुख
दिन-रात — ………….
बेटा-बेटी — ………….
पाप-पुण्य — ………….
सीता-राम — ………….
खरा-खोटा — ………….
उत्तर- माता-पिता
दिन-रात — दिन और रात
बेटा-बेटी — बेटा और बेटी
पाप-पुण्य — पाप और पुण्य
सीता-राम — सीता और राम
खरा – खोटा — खरा और खोटा
(4) शिक्षक की सहायता से गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित दोहों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर- स्वयं अभ्यास करें।
(5) कविता में आए निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त करें।
ललक धरा परमार्थ स्नेह
आशीष प्रज्ञा अस्तित्व लौ
उत्तर-
शब्द | अर्थ | वाक्य |
---|---|---|
ललक | लालसा | लोग उसे ललक से देखने लगे। |
धरा | भूमि | हमें भूमि पर पेड़ लगाने चाहिए। |
परमार्थ | भलाई | परमार्थ का तो जमाना नहीं है। |
स्नेह | प्रेम | परिवार में स्नेह बहुत जरूरी है। |
आशीष | आशीर्वाद | गुरूजी मुझे आशीष दीजिए। |
प्रज्ञा | ज्ञान, बुद्धि | उसे हर विषय की प्रज्ञा है। |
अस्तित्व | वजूद | दिनेश तुम्हारा क्या अस्तित्व है? |
लौ | प्रकाश | मोमबत्ती की लौ करना। |
(6) श्रुतलेख:-
शिक्षा लौ ललक ज्ञान साधना
परमेश्वर अराधना नेतृत्व धरा निःस्वार्थ
परमार्थ आशीष समाधि प्रज्ञा प्रवाह
प्रसिद्धि चर्चा अस्तित्व
(7) शब्दार्थः-
उत्तर- इसका उत्तर ऊपर दिए गए टेबल से देख लें।
Mere Pyare Shishye JKBOSE Class 4 Question Answers के बारे में बस इतना ही। आशा है कि आपको यह उपयोगी लगा होगा। आप इस पोस्ट के बारे में अपने विचार नीचे टिप्पणी अनुभाग (comment section) में साझा करें।
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